poem

दृष्टिकोण

मदन सुमित्रा सिंघल,   शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। नज़र अपनी अपनी डगर अपनी अपनी लेकिन फर्क है दृष्…

नज़र क्यों झूकी हुई है

मदन सुमित्रा सिंघल,   शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। महफ़िल मे सब मस्त हजुरे आला क्यों त्रस्त?  नजरे…

बेरहम

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   सिफारिश-ऐ-दौर चला है अपनों की जगह कोई ओर चला है…

मिथ्या फड़फड़ाहट

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   मिथ्या फड़फड़ाहट क्यों? अब टूट गया तुम तो कहते …

मेरे माधव

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   माधव तेरे शहर के लोग अक्सर मोहब्बत का नाम लेकर …

वो चिल्लाती रही

मदन सुमित्रा सिंघल,   शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। वो चिल्लाती रही गिड़गिड़ाती रही लेकिन सब मौन  !  …

बापूजी याद आते हो

मदन सुमित्रा सिंघल,   शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। बापूजी से डर लगता था बापूजी झोला लेकर दुकान जात…

कुदरत का कहर

मदन सुमित्रा सिंघल,   शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। क्या गांव नगर क्या नदी नहर कब ढा जाए कुदरत का क…

आनंद अनुभूति

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   मृत्यु योग बनता रहा पर मेरे महाकाल काल का भक्षण…

काज़िब

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   कितने मंत्रमुग्ध हो औरों के लिए अपने लिए थोड़ा ह…

संशय

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। हां मैं लिखता हूं तुम्हारी मुस्कुराहट में  अपना व…

असहजता

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।     संघर्ष है तो हारने के डर से फिर विराम क्यों? …

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