हम नागरिक आगर वाले
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   सीधे सच्चे भोले भाले। बैजनाथ के भक्त निराले।। लाल माटी में खेलन हारे। देश धर्म को सदा विचारें।। संस्कृति  संस्कार वाले। हम नागरिक आगर वाले।।1 अतिथियों के सत्कार वाले। राज अगरिया भीलों वाले।। अच्छे स्वास्थ्य सेहत वाले। लोग नगरिया के मतवाले।। दाल बाफला …
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पुस्तकों का भंडार हो (पुस्तक दिवस पर विशेष)
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। पुस्तकों का अंबार हो ज्ञान का भंडार हो। शब्दकोश उपहार हो भावों का संसार हो। मानवता का सार हो जाति धर्म से पार हो। पुस्तकों में इतिहास हो ईश्वर का वास हो। गणित ज्ञान भी खास हो हर मानव के पास हो। भविष्य का आभास हो वर्तमान का एहसास हो। सीदा सादा वेश हो जीव…
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श्री मार्कंडेय ऋषि द्वारा रचित दुर्गा कवच रूपांतरण दुर्गा चालीसा
खेमचंद "यादवेश" हिन्नवार,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। शैलपुत्री मां आप ही,ब्रह्मचारिणी मात। चंद्रघंटा कूष्मांडा ,हो जग जननी विख्यात ।। स्कंद कात्यायनी कालरात्रि,देवी मात हमार। महा गौरी नव सिद्धिदात्री,सुनलो मात पुकार।। ऊपर रक्षक वीर ब्रह्माणी। ज्ञान वाणी शारद दानी।।1 पूर्व ऐद्री मां की …
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मां जो कहती थी
हितेन्द्र शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। मेरी माँ को गुजरे आज (चैत्र माह, शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि) को 11 साल हो गए हैं, लगता है जैसे उनकी मृत्यु कल ही हुई हो, लेकिन उनका स्नेह और आशीर्वाद सदैव मेरे साथ है। वास्तव में माता-पिता के दिए संस्कारों से ही हमारा जीवन संवरता हैं, मां के चरणों में सम…
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हम मालिक अपनी मर्जी के
डॉ. शैलेश शुक्ला, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। न मैडम के, न सर जी के  हम मालिक अपनी मर्जी के।  ज्यादा की कोई चाह नहीं इसलिए कोई परवाह नहीं जो बोया वो ही पाया है  जो है वो खुद कमाया है  सत्ता के किसी  दरबार में  नहीं प्रार्थी हम किसी अर्जी के         हम मालिक अपनी मर्जी के...   कबीर तुलसी के वंशज हम  …
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हम सनातन
डॉ. शैलेश शुक्ला, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   हम सनातन, हम सनातन, युगों-युगों से इस धरा पर, बस बचे हैं हम यहाँ पर, हम अधुनातन हम पुरातन।   सृष्टि का आगाज हम हैं, कल भी थे और आज हम हैं, सहस्त्रों वर्षों की कहानी, दुनिया भर में है निशानी।   विश्व भर से ये कहेंगे, हम रहे हैं,  हम रहेंगे अपनी जिद पर ह…
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राम आए हैं
डॉ. शैलेश शुक्ला,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं। राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं। तम घोर था निराशा का दीप बुझा था आशा का अब देखो चहुँ ओर सब दिव्य-दीप जगमगाए हैं राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं…
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महाठगबंधन
डॉ. शैलेश शुक्ला, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। कभी गरियाते हैं,  तो कभी गले लगाते हैं निज लाभ लोभ में  एक-दूजे को सहलाते हैं एक पूरब एक पश्चिम,  एक उत्तर एक दक्षिण  देखो सब मिलकर अब क्या-क्या गुल खिलाते हैं।  जनता को सदा छलते रहे  हक उनका ये निगलते रहे  विचारधारा मिले या न मिले   ये तेल में पानी मिला…
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तेरे जीवन में सार नहीं
मदन सुमित्रा सिंघल,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। जो प्यार से लबालब नहीं जिसमें ओरों का प्यार नहीं नहीं जानता जीवन जीना  पत्थर है उसमें इजहार नहीं घृणा से विष व्यापन होता जिसका शिष्ट व्यवहार नहीं बोझ है लेकिन शिष्टाचार नहीं जन्म मानव का पाया अवश्य जहाँ अतिथि का सत्कार नहीं कुंठित पिङित तु है दानव तुम…
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घी रोटी !
सूरज सिंह राजपूत,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। मां  ! मेरे हिस्से की क्या हुई ? क्या वह सच में बहुत अच्छी होती है ? स्कूल में, हर दिन कोई ना कोई लाता है घी रोटी ! मैं ... , मां मैं कभी क्यों नहीं ले जाता ? तुम तो हमेशा कहती हो .... कल ले जाना ! कल , कल ये कल कब आएगा ? अब तो, मां अब तो सब मुझे चिड़ते…
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कुछ अनछुए अहसास
राजेश कुमार,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। अलख तेरा सितारों में,  प्रणय की बंदिनी हो तुम मेरी हर मुस्कुराहट हो,  समग्र सब जिंदगी हो तुम,  तुम्हें ही सोचता हूं मैं, तुम्हें ही जीवता हूं मैं, मेरी हर प्यास को आस,  मेरी तिश्नगी हो तुम तुम्हारे हाथ का मेरे हाथों से स्पर्श स्पन्दन करेगा कायनात को  तब विखं…
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मैंने हार मान ली
संजना,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। मैंने हार मान ली, पर मेरे मां बाप ने नहीं मानी  लोग जो मर्जी कहे पर , मेरे मां-बाप मेरी हर मुश्किल में साथ है। पापा ने चलना बताया , मां ने हंसना सिखाया,  मेरे मां-बाप ने मुझे जिंदगी  की हर जंग का सामना करना बताया । बिखरते बिखरते समेटा है मुझे, गिरते-गिरते संभाला ह…
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जिंदगी
तृषा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। जिंदगी में भरोसा करना है तो अपने पर करना न कि अपनो पर। दुनिया है ये मतलब की न की अपनेपन की। जो करते है अपनेपन का दावा  वो ही करते है दिखावा। इसलिए जिंदगी में  भरोसा करना है तो  अपने पर न की अपनो के पर। कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
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सदाशिव
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। मैं कालों का काल हूँ मैं ही तो महाकाल हूँ। सत्य का पालनहार हूँ असत्य का करता सदा विनाश हूँ। मैं देवों का देव हूँ मैं ही तो महादेव हूँ। अंधकार में करता प्रकाश हूँ अंत का भी करता आरंभ हूँ तभी तो मैं परमांनद हूँ। मैं महाकाली का महाकाल हूँ करता समय आने पर …
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फुर्सत
प्रीति शर्मा 'असीम', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। फुर्सत ना मिली, कभी खुद से मुलाकात होती। मैं सुनता ही रहा सबकी, काश ! कभी खुद से भी बात होती। फुर्सत ना मिली........... जिंदगी ने उम्मीदों की एक लंबी लिस्ट थमा  डाली, मैंने भी समझौतों से हर बात बना डाली। फुर्सत ना मिली..... काश! एक उम्मीद खुद …
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