मदन सुमित्रा सिंघल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
वो चिल्लाती रही
गिड़गिड़ाती रही
लेकिन सब मौन !
ऐसे मे बचायेगा कौन?
धिक्कार है ऐसे योद्धाओं को
क्या स्वीकार इन योद्धाओं को्
बलिष्ठ दिग्गज
बुजुर्ग रिश्तेदार
पांच पति सपरिवार
कोई नहीं बचावनहार
श्राप भोगने के लिए तैयार
कोई काम नहीं आया हथियार
अपनों के हाथों से
सबका हुआ नरसंहार
भिष्म पितामह का हाल
बाणों के सैया पर चितकार्
क्षमा मांगते छोड़ संसार
मौन बना पुरस्कार
जब तक तुम मौन रहोगे
जिंदे भी गौण रहोगे
कफन बांध रहो तैयार
वचन दो चिरहरण
नहीं होगा
तीर चले चाहे तलवार
पत्रकार एवं साहित्यकार शिलचर, असम