डाँ. राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
संघर्ष है तो हारने के डर से
फिर विराम क्यों?
राम है तो औरों से
फिर काम क्यों?
ज्ञान है तो फिर अज्ञानता का
भार क्यों?
जीत की तलब है तो फिर
हार का खौफ क्यों?
अजनबी हूँ तो फिर इतना
अपनापन क्यों?
अहम है तो फिर वहम भरी
बातें क्यों?
सहज हो तो फिर व्यवहार में
असहजता क्यों?
ज्ञात है सब तो फिर अज्ञात का
बोध क्यों?
जीवंत हो तो फिर मरण से
भय क्यों?
युवा कवि व लेखक गांव जनयानकड़ (कांगड़ा) हिमाचल
फिर विराम क्यों?
राम है तो औरों से
फिर काम क्यों?
ज्ञान है तो फिर अज्ञानता का
भार क्यों?
जीत की तलब है तो फिर
हार का खौफ क्यों?
अजनबी हूँ तो फिर इतना
अपनापन क्यों?
अहम है तो फिर वहम भरी
बातें क्यों?
सहज हो तो फिर व्यवहार में
असहजता क्यों?
ज्ञात है सब तो फिर अज्ञात का
बोध क्यों?
जीवंत हो तो फिर मरण से
भय क्यों?
युवा कवि व लेखक गांव जनयानकड़ (कांगड़ा) हिमाचल