संशय

डाँ. राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
हां मैं लिखता हूं
तुम्हारी मुस्कुराहट में 
अपना वजूद लिखता हूं।

हां मैं देखता हूं 
तुम्हारी छुपती निगाहों में 
अपना अस्तित्व देखता हूं।

 हां मैं मुस्कुराता हूं
 तुम्हारी स्मृति में खोकर
 हृदय तल से मुस्काता हूं।

हां मैं डरता हूं 
एक बेनाम रिश्ते को 
एक नाम देने से डरता हूं।
युवा कवि व लेखक गांव जनयानकड़ (कांगड़ा) हिमाचल

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