मां जो कहती थी
हितेन्द्र शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। मेरी माँ को गुजरे आज (चैत्र माह, शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि) को 11 साल हो गए हैं, लगता है जैसे उनकी मृत्यु कल ही हुई हो, लेकिन उनका स्नेह और आशीर्वाद सदैव मेरे साथ है। वास्तव में माता-पिता के दिए संस्कारों से ही हमारा जीवन संवरता हैं, मां के चरणों में सम…
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हम मालिक अपनी मर्जी के
डॉ. शैलेश शुक्ला, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। न मैडम के, न सर जी के  हम मालिक अपनी मर्जी के।  ज्यादा की कोई चाह नहीं इसलिए कोई परवाह नहीं जो बोया वो ही पाया है  जो है वो खुद कमाया है  सत्ता के किसी  दरबार में  नहीं प्रार्थी हम किसी अर्जी के         हम मालिक अपनी मर्जी के...   कबीर तुलसी के वंशज हम  …
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हम सनातन
डॉ. शैलेश शुक्ला, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   हम सनातन, हम सनातन, युगों-युगों से इस धरा पर, बस बचे हैं हम यहाँ पर, हम अधुनातन हम पुरातन।   सृष्टि का आगाज हम हैं, कल भी थे और आज हम हैं, सहस्त्रों वर्षों की कहानी, दुनिया भर में है निशानी।   विश्व भर से ये कहेंगे, हम रहे हैं,  हम रहेंगे अपनी जिद पर ह…
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राम आए हैं
डॉ. शैलेश शुक्ला,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं। राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं। तम घोर था निराशा का दीप बुझा था आशा का अब देखो चहुँ ओर सब दिव्य-दीप जगमगाए हैं राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं…
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महाठगबंधन
डॉ. शैलेश शुक्ला, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। कभी गरियाते हैं,  तो कभी गले लगाते हैं निज लाभ लोभ में  एक-दूजे को सहलाते हैं एक पूरब एक पश्चिम,  एक उत्तर एक दक्षिण  देखो सब मिलकर अब क्या-क्या गुल खिलाते हैं।  जनता को सदा छलते रहे  हक उनका ये निगलते रहे  विचारधारा मिले या न मिले   ये तेल में पानी मिला…
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तेरे जीवन में सार नहीं
मदन सुमित्रा सिंघल,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। जो प्यार से लबालब नहीं जिसमें ओरों का प्यार नहीं नहीं जानता जीवन जीना  पत्थर है उसमें इजहार नहीं घृणा से विष व्यापन होता जिसका शिष्ट व्यवहार नहीं बोझ है लेकिन शिष्टाचार नहीं जन्म मानव का पाया अवश्य जहाँ अतिथि का सत्कार नहीं कुंठित पिङित तु है दानव तुम…
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घी रोटी !
सूरज सिंह राजपूत,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। मां  ! मेरे हिस्से की क्या हुई ? क्या वह सच में बहुत अच्छी होती है ? स्कूल में, हर दिन कोई ना कोई लाता है घी रोटी ! मैं ... , मां मैं कभी क्यों नहीं ले जाता ? तुम तो हमेशा कहती हो .... कल ले जाना ! कल , कल ये कल कब आएगा ? अब तो, मां अब तो सब मुझे चिड़ते…
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कुछ अनछुए अहसास
राजेश कुमार,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। अलख तेरा सितारों में,  प्रणय की बंदिनी हो तुम मेरी हर मुस्कुराहट हो,  समग्र सब जिंदगी हो तुम,  तुम्हें ही सोचता हूं मैं, तुम्हें ही जीवता हूं मैं, मेरी हर प्यास को आस,  मेरी तिश्नगी हो तुम तुम्हारे हाथ का मेरे हाथों से स्पर्श स्पन्दन करेगा कायनात को  तब विखं…
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मैंने हार मान ली
संजना,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। मैंने हार मान ली, पर मेरे मां बाप ने नहीं मानी  लोग जो मर्जी कहे पर , मेरे मां-बाप मेरी हर मुश्किल में साथ है। पापा ने चलना बताया , मां ने हंसना सिखाया,  मेरे मां-बाप ने मुझे जिंदगी  की हर जंग का सामना करना बताया । बिखरते बिखरते समेटा है मुझे, गिरते-गिरते संभाला ह…
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जिंदगी
तृषा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। जिंदगी में भरोसा करना है तो अपने पर करना न कि अपनो पर। दुनिया है ये मतलब की न की अपनेपन की। जो करते है अपनेपन का दावा  वो ही करते है दिखावा। इसलिए जिंदगी में  भरोसा करना है तो  अपने पर न की अपनो के पर। कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
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सदाशिव
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। मैं कालों का काल हूँ मैं ही तो महाकाल हूँ। सत्य का पालनहार हूँ असत्य का करता सदा विनाश हूँ। मैं देवों का देव हूँ मैं ही तो महादेव हूँ। अंधकार में करता प्रकाश हूँ अंत का भी करता आरंभ हूँ तभी तो मैं परमांनद हूँ। मैं महाकाली का महाकाल हूँ करता समय आने पर …
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फुर्सत
प्रीति शर्मा 'असीम', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। फुर्सत ना मिली, कभी खुद से मुलाकात होती। मैं सुनता ही रहा सबकी, काश ! कभी खुद से भी बात होती। फुर्सत ना मिली........... जिंदगी ने उम्मीदों की एक लंबी लिस्ट थमा  डाली, मैंने भी समझौतों से हर बात बना डाली। फुर्सत ना मिली..... काश! एक उम्मीद खुद …
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सामना
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। रुख पहाड़ों की तरफ किया  तो समझ आया  जन्नत इस धरा पर भी है। रुख बादलों की तरफ किया  तो समझ आया  बदमाशी इनमें भी है। रुख बहती नदी की तरफ किया तो समझ आया  जीवन का बहाव इनमें भी है। रुख हरे-भरे खेतों की तरफ किया  तो समझ आया  जीवन का अंश इनमें भी है। रुख व…
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अटकाव
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। ताबीज तब ही काम आते हैं जब बोलने की तमीज हो। वक्त तब ही काम आता है  जब वक्त की कदर की हो। अजीज तब ही काम आते हैं  जब उनसे तहबीज  हो। भक्ति तब ही काम आती है जब उसमें शक्ति जगाई हो। अपने तब ही काम आते हैं जब उनसे अपनापन रखा हो। इंसान तब ही काम आते हैं जब…
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शिक्षक-बाबा बनाम परीक्षा
मार्च का स्वाद ऐसा है हर दिन एग्जाम जैसा है,  कुछ बाबा भी मौके को भुना रहे हैं फेसबुक, इंस्टाग्राम पर  रंग दिखा रहे हैं। पेपरों में कैसे अच्छे नंबर लायें कई मंत्र, रीलों से बता रहे हैं। शिक्षक तंत्र पर भी  बाबाओं का मंत्र भारी है बच्चों को परीक्षा में पास कराने का सतत् यंत्र-तंत्र-मंत्र जारी है।  ब…
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सामंजस्य
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   जब आहत  ह्रदय शमशान बन जाए तो उसमें लाशे नहीं  भावनाएं राख हुआ करती है। जब विश्वासी हृदय में बिखराव आ जाए तो अपने और पराए नहीं बस मौन रहा करता है। जब वेदिती हृदय राख बन जाए है सुख और दुख नहीं  बस स्थिरता रहती है। जब खंडित हृदय अखंडित हो जाए तो उसमें …
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बदलते जज्बात
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   आजकल बदलने लगे है तेरे अल्फाज तेरे शहर के मौसम के तरह। आजकल बदलने लगा है तेरा अंदाज गिरगिट के रंग की तरह। आजकल बदलने लगा है तेरा इश्क तेरी बेफाई की तरह। आजकल बदलने लगा है तेरा व्यवहार तेरी निग़ाह की तरह । आजकल बदलने लगे है  तेरे जज्बात तेरे लफ्जों की …
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बदलियां गल्ला (पहाड़ी कविता)
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   अज्ज कल बदलना लग्गियां तेरियां गल्लां तेरे शहरे दे मौसमे सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गा। तेरा अंदाज गिरगिटे दे रंगे सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गा तेरा प्यार तेरे रुसदे चेहरे सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गा तेरा व्यवहार तेरियां नजरा सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गे तेरे जज…
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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला चालीसा (बसंत पंचमी पर विशेष)
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। शारद सुत को नमन करुं, कीना जग परकाश। सूर अनामी गीतिका, परिमल तुलसीदास। अणिमा बेला अर्चना, चमेली अरु सरोज। गीत कुंज आराधना, सूर्यकांत की खोज।। हिन्दी कविता छंद निराला। सूर्यकांत भाषा मतवाला।।1 बंग भूमि महिषादल भाई । मेंदनपुर मंडल कहलाई।।2 पंडित राम सहाय …
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