फुर्सत

प्रीति शर्मा 'असीम', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
फुर्सत ना मिली,
कभी खुद से मुलाकात होती।
मैं सुनता ही रहा सबकी,
काश ! कभी खुद से भी बात होती।
फुर्सत ना मिली...........
जिंदगी ने उम्मीदों की एक लंबी लिस्ट थमा  डाली,
मैंने भी समझौतों से हर बात बना डाली।
फुर्सत ना मिली.....
काश! एक उम्मीद खुद से भी की होती।
अपाहिज सपनों को लेकर जिंदगी आज इस तरह ना चली  होती।
फुर्सत ना मिली...........
वो जिन के लिए फुर्सत से खुद को भूल गया।
उनको फुर्सत ना मिली सोचने की ,
कि उनके लिए तुमने क्या किया।
आज फुर्सत से खुद से मिला तो जाना।
बस अपना साथ ही साथी है ।
बाकी सब तो था बहाना।
नालागढ़, हिमाचल प्रदेश
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