सूर्यकांत त्रिपाठी निराला चालीसा (बसंत पंचमी पर विशेष)
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
शारद सुत को नमन करुं, कीना जग परकाश।
सूर अनामी गीतिका, परिमल तुलसीदास।
अणिमा बेला अर्चना, चमेली अरु सरोज।
गीत कुंज आराधना, सूर्यकांत की खोज।।
हिन्दी कविता छंद निराला।
सूर्यकांत भाषा मतवाला।।1
बंग भूमि महिषादल भाई ।
मेंदनपुर मंडल कहलाई।।2
पंडित राम सहाय तिवारी। 
राज सिपाही अल्प पगारी।3
इक्किस फरवरी छन्नु आई।
पंच बसंती दिवस सुहाई।।4
बालक सुंदर जन्मा भाई।
सकल नगर में बजी बधाई।।5
जनम कुंडली सुर्ज कुमारा।
पीछे सूर्यकांत उच्चारा।।6
बालपने में खेल सिखाया।
कुश्ती लड़के नाम कमाया।।7
हाइ इस्कूल करी पढ़ाई। 
संस्कृत बंगला घर सिखलाई ।।8
धीरे-धीरे विपदा आई।
संकट घर में रहा समाई।।9
तीन बरस में माता छोड़ा।
बीस साल में पिता विछोहा।।10
पंद्रह बरस में ब्याह रचाया।
वाम मनोहर साथ निभाया।।11
पत्नी प्रेरित हिंदी सीखी।
सुंदर रचना रेखा खींची।।12
शोषित पीड़ित कृषक लड़ाई।
छोड़ नौकरी करी भलाई।।13
चाचा चाची भाई नारी।
भावज भी खाई महमारी।।14
बेटा बेटी  पिता कहाये।
सन पैंतीसा लखनउ आये।।15
फटी कमीजा मोटी धोती ।
टूटी चप्पल हाथन पौथी।।16
सिर पे केशा लंबी दाढ़ी। 
बने फकीरा वेश भिखारी।।17
तन से भारी मन से चंगा ।
कष्ट उठाया साहित्य संगा।।18
 फक्कड़ जीवन ऊंच विचारा।
 मां शारद का बेटा प्यारा।।19
समन्वया  संपादन कीना।
मतवाला में भी कुछ दीना।।20
 जन्म भूमि का वंदन कीना।
पहली कविता मासिक जूना।।21
 बंग भाष उच्चारण लेखा।
पहला निबंध जगत ने देखा।।22
सरस्वती अक्टूबर  बीसा।
पहला लेख कसावट फीका।।23
यथार्थ कविता भाव दिखाती।
दर्शन से छाया कहलाती।।24
कुकुरमुत्ता में महिमा गाई।
आम जनों की पीर समाई।।25
राम की शक्ति पूजा भाई।
भाषा कठिन तत्व गहराई।।26
सरोज स्मृति करुणा गाथा ।
आंखों आंसू छोड़ा साथा।।27
 बिन औषधि के त्यागी देही।
 पैसा के बिन कवि विद्रोही।28
 तू दीवाना तू मतवाला।
मानववादी कवी निराला ।29
औढर दानी जन कल्याणी।
सरल हिया अरु सांची वाणी।।30
कान्यकुब्ज की रीति तोड़ा।
दीन दुखी से नाता जोड़ा ।।31
जग हित घर में आग लगाई।
प्रगतीवादी  कवी कहाई।।32
हे शारद सुत हे तिरपाठी।
 भूखे बिसरों का तू साथी।।33
 तोड़त पत्थर नारी देखी।
 सारा चित्रण कविता लेखी।।34
महदेवी ने राखी बांधी ।
साहित्यजीवन की थी साथी।।35
देवी शंकर पंत निराला। 
चारो खंबा छाया वाला।।36
काव्य जगत ने करी बड़ाई।
कविता छंदों मुक्त कराई।।37
भीष्म ध्रुव प्रह्लाद प्रतापा।
बालसाहित्य लिखा है आपा।।38
चाबुक चयन निबंध प्रबंधा। 
चतुरी लिली कहानी बंधा।।39
अलका कुल्ली बिल्ले काले ।
उपन्यास भी खूब निराले।।40
सन उन्नीसो इकसठा, सूर्यकांत प्रस्थान।
प्रयागराज विलीन भये, कहत हैं कवि मसान।।
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश
Comments