काव्य प्रेम
डाँ. राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। कब किताबों के पनों से प्यार हो गया पता ही न चला। कब अल्फाज़ो का लफ्ज़ो से इकरार हो गया पता ही न चला। कब शब्दों को मात्राओंं से नूरी इश्क़ हो गया पता ही न चला। कब प्रकृति का मानव से आलिगन हो गया पता ही न चला। कब हिंदी की बिंदी ने प्रेम की अनुभूति करवा दी प…