बड़ी है बेरोजगारी की समस्या


एडवोकेट नरेन्द्र मित्तल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
भारत में बेरोजगारी अपना विकराल रूप दिखा रही है। बेरोजगारी का डेटा जारी करने वाली संस्था सेंटर फोर मानिटरिंग इंडियन इकोनाॅमी के ताजा आंकड़े भी पुष्टि कर रहे हैं कि देश में बेरोजगारी की समस्या अब निरंतर बढ़ती जा रही है, जो युवाओं में भारी असंतोष का कारण बन रही है। देखने में आया है कि रेलवे परीक्षा में गडबड़ी का खुलासा होने के बाद यूपी व बिहार मंे युवाओं ने रेलवे स्टेशनों पर उपद्रव और ट्रेन जलाने जैसे उपद्रव भी किये हैं। इन घटनाओं से पता चलता है कि अब युवा पीढ़ी का धैर्य जवाब दे रहा है। एक्सपर्ट (विशेषज्ञ) भी मान रहे हैं कि युवा वर्ग के मन में जो हताशा है, वह उसकी एक बानगी रेलवे स्टेशन फूंकना भी है।
बेरोजगारी का डाटा जारी करने वाली संस्था मौजूदा हालात में 4 करोड़ 27 लाख नौजवानों के बेरोजगारी की बात कर रही है, इसमें 3 करोड़ 3 लाख वे युवा हैं, जो हर समय काम की तलाश में हैं और एक करोड़ 24 लाख युवा ऐसे भी हैं जो रोजगार तो चाहते हैं, पर वे अब नौकरी मिलने की आशा छोड़ चुके हैं। वे कतई निराश हो चुके हैं। बेरोजगारी का डाटा पेश करने वाली संस्था की अपनी विश्वसनीयता है। यह ऐसी एकमात्र संस्था है, जिसके डाटा का इस्तेमाल रिजर्व बैंक फ इंडिया समेत केन्द्र सरकार के विभाग भी करते हैं।
बेरोजगारों की संख्या 2020 में लगे देशभर में लाॅकडाउन से भी ज्यादा है। उस समय 2 करोड़ 93 लाख युवा बेरोजगार थे। विशेष बात यह है कि बेरोजगारों में 91 प्रतिशत 30 वर्ष से कम आयु के हैं। एक करोड़ 18 लाख बेरोजगार तो इनमें ग्रेजुएट स्तर के हैं। संस्था का मानना है कि गत वर्षों में अर्थव्यवस्था संतुलित तरीके से नहीं बढ़ी है, जो बेरोजगारी का प्रमुख कारण है। जब तक कंस्ट्रक्शन, टूरिज्म, हाॅस्पिटलिटी का बिजनेस नहीं बढ़ेगा, तब तक हालात सुधरने वाले नहीं हैं। पिछले वर्षों में बेरोजगारी की समस्या ज्यादा बड़ी है।
मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
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