शि.वा.ब्यूरो, नई दिल्ली। मज़दूर संघर्ष संकल्प अभियान के तहत दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा, बिगुल मज़दूर दस्ता व भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी आदि विभिन्न संगठनों द्वारा देश भर में मज़दूर संघर्ष संकल्प अभियान (MSSA) चलाया जा रहा है। संगठनों ने नारा दिया है कि-
न हमें कोरोना से मौत मंजूर, न ही भूख और बेरोज़गारी से
हमें चाहिए इन्सानों जैसा जीवन और सम्मान
मज़दूर संघर्ष संकल्प अभियान के प्रभारी ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान मोदी सरकार की नाकामी जनता पर बहुत भारी पड़ रही है। सरकार की शुरुआती निष्क्रियता, बाद के अनियोजित लॉक डाउन और फ़िर इस दौरान मज़दूर व गरीब आबादी के जान-माल के प्रति बरती गयी आपराधिक उदासीनता ने आम लोगों के जीवन को नरक बना छोड़ा है। अब भी विकराल होती महामारी की तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं है। सरकार में बैठे जनता के तथाकथित नुमाइन्दे विभिन्न तरह की इवेंटबाज़ी करके लोगों के अन्दर साम्प्रदायिक नफ़रत फैलाने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ़ अनियोजित लॉक डाउन ने जनता का कचूमर निकाला तो दूसरी तरफ़ अर्थव्यवस्था को राहत देने के नाम पर श्रम कानूनों में तमाम तरह के श्रमिक विरोधी बदलाव कर दिये गये। काम के घण्टे बढ़ा दिये गये, कर्मचारियों के विभिन्न भत्ते बन्द कर दिये गये, यूनियन आदि बनाने के अधिकार बेहद मुश्किल बनाकर लगभग छीन ही लिये गये। अब धड़ाधड़ पब्लिक सेक्टर कम्पनियों को बेचा जा रहा है। इसी दौरान जन विरोधी नयी शिक्षा नीति - 2020 जनता पर थोप दी गयी। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा दिये गये जिसके कारण महँगाई का दानव गरीब आदमी को निगलने को आतुर हो रहा है। लोगों के जीवन के ऐसे कठिन हालात में भी सत्तासीन फ़ासीवादी गिरोह के द्वारा आस्था के नाम पर लोगों को बरगलाया जा रहा है।
प्रमुख मांगे
मज़दूर संघर्ष संकल्प अभियान के प्रभारी ने बताया कि-
1 कोविड-19 से गहराये आर्थिक संकट की आड़ में मज़दूरों से ग़ुलामों के समान 12-12 घण्टे काम कराने, हड़ताल का अधिकार ख़त्म करने, यूनियन बनाने का अधिकार ख़त्म करने आदि के लिए श्रम क़ानूनों में किये जा रहे संशोधनों को तत्काल रद्द करो।
2 सभी मज़दूरों-मेहनतकशों को एपीएल-बीपीएल राशनकार्ड के बिना राशन की दुकानों से अनाज मुहैया कराओ।
3 कोरोना संक्रमण के ख़तरे के टलने तक मज़दूरों-मेहनतकशों को काम करने के लिए क़तई मजबूर न किया जाये। लॉकडाउन को ख़त्म करने के नाम पर मज़दूरों को कोरोना संक्रमण के जोखिम में डालना बन्द करो। उन्हें मज़दूरी सहित अवकाश व रोज़गार की पूर्ण सुरक्षा दो। कोरोना संकट के दौरान मज़दूरों की छँटनी तत्काल बन्द की जाये।
4 तथाकथित ‘स्वरोज़गार प्राप्त’ अनौपचारिक मज़दूरों जैसे ठेला चालक, रिक्शा चालक, रेहड़ी-खोमचे वालों आदि के लिए 15,000 रुपये प्रति माह नक़द गुज़ारे भत्ते की व्यवस्था करो, उनकी नियमित व नि:शुल्क कोरोना जाँच की व्यवस्था करो, उन्हें आवश्यक सुरक्षा प्रदान करो।
5 घर जाने वाले प्रवासी मज़दूरों के लिए पूर्ण सुरक्षा के साथ नि:शुल्क परिवहन की व्यवस्था करो। अब तक प्रवासी मज़दूरों के लिए परिवहन की व्यवस्था में की गयी आपराधिक लापरवाही के लिए ज़िम्मेदार रेल मंत्री व अन्य अधिकारियों के ख़िलाफ़ दण्डात्मक कार्रवाई करो।
6 स्वास्थ्य सेवा समेत सभी मूलभूत सेवाओं व वस्तुओं के उत्पादन, जैसे परिवहन, बिजली उत्पादन व वितरण, आदि में लगे मज़दूरों व कर्मचारियों और साथ ही आम पुलिसकर्मियों को सुरक्षा के सभी आवश्यक उपकरण प्रदान करो, उनकी नियमित कोरोना जाँच व नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था की जाये।
7 सभी मूलभूत वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति की सार्वभौमिक सार्वजनिक व्यवस्था करो।
8 सरकारी योजनाविहीनता के कारण लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर और श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों में मरने वाले सभी मज़दूरों के परिवारों के एक-एक सदस्य को पक्की नौकरी और उचित मुआवज़ा प्रदान करो।
9 कोरोना संकट से निपटने के संसाधनों के लिए देश के पूँजीपतियों और अमीर वर्गों पर विशेष टैक्स और सेस लगाओ।
10 गुणवत्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा का निर्माण किया जाये, व्यापक पैमाने पर सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केन्द्रों व विशेष एपिडेमिक कण्ट्रोल सेण्टरों की स्थपना करो। इसके लिए भारत के पास पर्याप्त मानव संसाधन हैं, यानी पर्याप्त संख्या में डॉक्टर, नर्स, व अन्य मेडिकल प्रशिक्षित कार्यशक्ति है, जिन्हें इसी के ज़रिये रोज़गार भी प्राप्त होगा। हर नागरिक को सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल का अधिकार मुहैया कराया जाये।
11 सभी निजी अस्पतालों, नर्सिंग होमों व पैथोलॉजी लैब का राष्ट्रीकरण किया जाये। कोरोना की नि:शुल्क जाँच और इलाज में आनाकानी करने वाले अस्पतालों और लैब के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाये। कोरोना संकट के चलते अन्य बीमारियों के इलाज के लिए बन्द किये गये ओपीडी आदि को तत्काल खोला जाये।
12 किरायाखोर मकानमालिक वर्ग को महामारी के जारी रहते किराया न लेने के लिए बाध्य करो। यदि कहीं विशेष स्थिति हो, तो वह किराया सरकार की ओर से दिया जाये।
13) कोरोना महामारी के दौरान 18 करोड़ बेघर भारतीय नागरिकों और 18 करोड़ झुग्गियों में रहने वाले भारतीय नागरिकों के पक्के आवास की व्यवस्था के लिए सभी ख़ाली सरकारी व निजी मकानों को अधिग्रहीत किया जाये और सरकार की ओर से आवास की सार्वजनिक व्यवस्था की जाये।
14 सीएए-एनआरसी जैसी जनविरोधी योजना को रद्द कर एनपीआर-एनआरसी के लिए आवण्टित पूरे फण्ड को कोरोना संकट से निपटने के काम में लगाया जाये।
15 पीएम केयर फण्ड का सार्वजनिक ऑडिट करवाया जाये और उसमें जमा हज़ारों करोड़ रुपये को जनकमेटियों की निगरानी में कोरोना संकट से निपटने के लिए उपयोग किया जाये।
16 कोरोना संकट के दौरान प्रवासी मज़दूरों व अन्य मज़दूरों पर पुलिसिया दमन और अत्याचार पर लगाम लगाने के लिए सख़्त क़दम उठाये जायें और दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल दण्डित किया जाये।
17 कोरोना संकट के दौरान देशभर में जनता के लिए आवाज़ उठाने वाले सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों की गिरफ़्तारी और दमन पर रोक लगाओ और सभी राजनीतिक बन्दियों को तत्काल रिहा करो।
18 नियमित प्रकृति के कामों के लिए ठेका, अस्थायी व कैजुअल मज़दूरी करवाने पर तत्काल रोक लगायी जाये और ‘निर्धारित अवधि के रोज़गार’ (फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेण्ट) को बन्द किया जाये।
19 कोरोना संकट की आड़ में श्रम विभाग में लम्बित मसलों को लटकाया न जाये और उनका जल्द से जल्द निपटारा किया जाये।
20 पीएफ से धन निकासी की प्रक्रिया को आसान बनाया जाये और इसमें निहित तमाम बाधाओं को समाप्त किया जाये, ताकि मैनेजमेण्ट, मालिकान या ठेकेदारों द्वारा कमीशनखोरी व घोटालेबाज़ी पर रोक लगायी जा सके।
21 राज्य सरकारें अभी तक केवल भवन निर्माण मज़दूरों के लिए पहचान कार्ड बनाती हैं। इस प्रावधान को कारख़ाना मज़दूरों पर भी लागू किया जाये, क्योंकि अनौपचारिक व असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के पास आम तौर पर मज़दूर के तौर पर पहचान का कोई प्रमाण नहीं होता।
22 भारत के भारी-भरकम रक्षा बजट को कम से कम करके कोरोना संकट से निपटने पर ख़र्च किया जाये।
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