राज शर्मा, (मण्डी), हिमाचल प्रदेश। यूँ तो हर प्रकार के वृक्ष हमारे किसी न किसी काम आ ही जाते हैं, किंतु इनमें देवदार एक ऐसा वृक्ष है, जिसका उपयोग गांव-गांव में अत्याधिक किया जाता है। देवदार का वृक्ष पर्यावरण की शुद्धता के साथ घर बनाने के लिए सबसे अधिक उपयोगी है। देव स्थलों में इस वृक्ष में देवी-देवताओं कि स्थापना इसलिए की जाती है, ताकि देवदार के पेड़ों का संरक्षण हो। ऐसे में सुखद भविष्य का संदेश देने के उद्देश्य से पांगणा उप-तहसील के अंतर्गत गीहनाग महिला मंडल लुच्छाधार की महिलाओं ने वन विभाग पांगणा के उप-वन राजिक रमेश कुमार की अध्यक्षता में बाहण नाला में पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस अवसर पर पांगणा वीट के वन रक्षक चेतराम,सरही वीट के वन रक्षक कृष्ण सिंह,महिला वन कार्यकर्त्ता वेगुदेवी,वन कार्यकर्त्ता धर्मदास,जिला मंडी के सर्वश्रेष्ठ युवा समाजसेवी के पुरस्कार से सम्मानित अध्यापक लक्ष्मी दत्त चौहान उपस्थित थे। महिला मंडल की प्रधान किरणा देवी और सचिव चन्द्रावती ने बताया कि वृक्ष हमारे भाई हैं। देवदार के वृक्ष को तो देवता के वृक्ष की संज्ञा से अभिहित किया गया है। अतः इस वृक्ष का अत्यधिक मात्रा में रोपण और संरक्षण करना समय की मांग है। महिला मंडल की उप-प्रधान बुद्धि देवी का कहना है कि वृक्षों के हम पर बहुत से उपकार हैं, जिसे समक्ष रख आज हमने देवदार का पौध रोपण कर धरती माँ को सजाया है।
इस अवसर पर अनिता, तुन्गलु देवी, महाजन देवी, त्वारसी देवी, जेठी देवी, चिन्ता देवी, गुलाबु देवी, विनीता, प्रेम लता, जिन्दी देवी, रामकी देवी, डोलीदेवी आदि महिलाओं ने स्वयं उचित गहरे और वृहद आकार के गड्ढे खोदकर देवदार के 150 पौधों का रोपण किया तथा इनके संरक्षण का वचन लिया।