मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
जगुआ को मरे आज पूरे पन्द्रह साल हो गये। उसकी बेटी भूरी जवान हो चुकी है। उसके जैसी सुंदर चाल-ढाल वाली लड़की पूरे गांव में तो क्या पूरी तहसील में नहीं है। उसके सौन्दर्य पर पागल हो रहे गाँव के मुखिया का लड़का साहिल हमेशा इसी ताक में रहता कि कब भूरी को अपनी हवश का शिकार बनाया जाये, परन्तु हरिजन बस्ती में वो सफल नहीं हो पा रहा था।
ऊंचे टीले वाले बाबा के पास अक्सर साहिल जाया करता था और आश्रम पर खूब नशा-दारू का दौर चलता। एक दिन साहिल ने बाबा को अपने दिल की बात बता दी। बाबा जी ने अपना शैतानी दिमाग चलाया। दूसरे दिन आश्रम पर भजन कीर्तन का कार्यक्रम रचाया। पूरे गांव को न्यौते पर बुलाया। अवसर पाकर प्रसाद में भांग मिलाकर भूरी को खिलाया। भांग ने अपना रंग दिखाया, भूरी को नशे का जोश आया। बाबाजी ने बताया कि पीपल वाला भूत भूरी पर आया। सारी रात इलाज करना पड़ेगा। भूरी को आज आश्रम पर ही रहना पड़ेगा। भूरी को साहिल, बाबा और कुछ अन्य चेलों ने रातभर नोंचा और सुबह बेचारी भूरी जब होश में आई तो चाहकर भी किसी से कुछ कह न सकी। अपने रिसते जख्म किसी को दिखा भी न सकी।
ग्राम रिहावली, डाक तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा