गर्माहाट
डाँ. राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। बहुत अच्छा लगता है न तुमको जीवों को पका कर स्वाद से खाना। प्रकृति भी तो पका रही हैं अब तुमको सूर्य की तप्त किरणों में। उसको भी तो थोड़ा स्वाद आना चाहिए तुम क़ो रुलाने में। बहुत अच्छा लगता है न तुमको चुपचाप अग्नि को सुलगा कर वनों को जलता हुआ द…