बीडीएफ का आरोप: बराक विकास विभाग बनने के बाद बराकघाटी की स्थिति बदतर हुई

मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट (बीडीएफ) कार्यालय में आयोजित एक बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए बीडीएफ मीडिया सेल के प्रमुख संयोजक जयदीप भट्टाचार्य ने कहा कि पिछले कई दशकों से यही स्थिति बनी हुई है। हर साल मानसून के समय बराक घाटी इस तरह संपर्कविहीन हो जाती है। दशकों से इस समस्या के समाधान में सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि पूरी तरह विफल रहे हैं। इसके साथ ही, सिलचर से गुवाहाटी का विमान किराया ₹13,000 से ₹19,000 हो गया है, जबकि अगरतला से गुवाहाटी का किराया मात्र ₹1,600 है। ऐसे में यदि किसी मरणासन्न मरीज को बाहर इलाज के लिए भेजना पड़े, तो यह अत्यंत कठिन हो जाता है। जयदीप ने कहा कि पिछले दस वर्षों से केंद्र और राज्य दोनों में एक ही पार्टी की सरकार है, फिर भी इस घाटी के लोगों की पीड़ा लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए यहाँ के जनप्रतिनिधि ही मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

जयदीप ने कहा कि पहाड़ी मार्ग और मेघालय की भूगर्भीय स्थिति ऐसी है कि हर साल भूस्खलन, धसाव जैसी आपदाएं होंगी ही। इसलिए बराक के नागरिक वर्षों से वैकल्पिक सड़क और रेल मार्ग की मांग कर रहे हैं। लेकिन समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। उन्होंने कहा कि पिछले 28 वर्षों से राष्ट्रीय राजमार्ग का कार्य जारी है, लेकिन दीमा हसाओ जिले के 23 किलोमीटर हिस्से का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है। हालांकि कहा जा रहा है कि यह कार्य आगामी जनवरी में पूरा हो जाएगा, लेकिन इस पर कितना भरोसा किया जा सकता है कहना मुश्किल है। वहीं, सिलचर से गुवाहाटी तक हरांगाजाओ, तुरुक, पानीमोड़, उमरांग्शु और जागिरोड के रास्ते एक वैकल्पिक सड़क मार्ग बहुत कम समय में तैयार किया जा सकता है, क्योंकि इस सड़क का अधिकतर हिस्सा पहले से ही बना हुआ है, केवल बाकी हिस्से को मेटलिंग कर काम शुरू किया जा सकता है। इससे दूरी 70 किमी कम होगी और गुवाहाटी 7 घंटे में पहुँचा जा सकेगा। लेकिन जनता की बार-बार की मांग के बावजूद सरकार चुप है। इसके अलावा चंद्रनाथपुर–लंका वैकल्पिक रेल मार्ग पर दो बार सर्वेक्षण हो चुका है, लेकिन यह कार्य कब शुरू होगा, इस पर कोई आश्वासन नहीं है।
जयदीप ने कहा कि बराक घाटी के पंद्रह विधायक और तीन सांसद इस मामले में घोर विफलता का उदाहरण पेश कर चुके हैं। यहाँ तक कि वे जनता के हित में विमान किराया नियंत्रित करने में भी असफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सरकार को निजी विमान कंपनियों को सब्सिडी देकर किराया आम जनता की पहुंच में रखना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि बराक विकास प्रभाग के गठन के बाद से अब तक केवल वादे ही सुनाई दिए हैं, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ है। चाहे वह तारापुर या सिलचर के फ्लाईओवर हों, रांगीर खाल की मरम्मत, गैमन पुल या हरांग पुल का नवीनीकरण—इन सभी कामों को समय-सीमा के भीतर पूरा करने में यह विभाग अब तक विफल रहा है। जयदीप ने कहा कि जहाँ केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भारत की सड़क परिवहन प्रणाली को अमेरिका के समकक्ष बता रहे हैं, जहाँ सड़कों को रनवे के रूप में उपयोग के लायक बनाया जा रहा है, जहाँ देश में बुलेट ट्रेन चलाने की योजना बन रही है, वहीं बराक घाटी जैसे एक क्षेत्र, जिसकी भौगोलिक स्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, उसकी यह दयनीय स्थिति केंद्र और राज्य सरकार की जानबूझकर की गई उपेक्षा और वंचना का परिणाम है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार, स्थानीय विधायक और सांसद इस दिशा में तुरंत सकारात्मक कदम नहीं उठाते हैं, तो आगामी चुनावों में जनता को निश्चित रूप से उनसे जवाब तलब करना चाहिए।

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