बिरसा मुंडा चालीसा ( पुण्य तिथि पर विशेष)

डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
बिरसा मुंडा धन्य हैं, वनवासी कल्याण।
वीर दिवाने देश के,जग करता गुणगान।।
बिरसा मुंडा एक दिवाना।
भारत को जिसने पहिचाना।।1
वन का बेटा संतो जैसा।
पर उपकारी पेड़ों जैसा।।2
स्वावलंबी धीरज धारी।
जंगल का था बड़ा खिलाड़ी।।3
पंद्रह नवंबर मास निराला।
सन अट्ठारह पचहत्तर आला।।4
मां शबरी सा श्रृद्धा वाला।
मातृभूमि का था रखवाला।।5
सीधा साधा भोला भाला।
देश द्रोह को हारन वाला।।6
भूख प्यास से जीने वाला।
तीर कमानों रखने वाला।।7
सही निशान लगाने वाला।
एकलव्य सा भक्त निराला।।8
सन संताणू थाना घेरा।
चार सैकड़ा जन का डेरा।।9
अंग्रेजी अधिकारी कांपे।
रोम रोम था भय से व्यापे।।10
जल जमीन जंगल लड़ाई।
हक रखते वनवासी भाई।।11
जय जोहार का नारा प्यारा।
छोड़ो भारत देश हमारा।।12
झूठ कपट से उन्हें बुलाया।
फिर कारागृह में डलवाया।।13
कष्ट दिये थे पीड़ादाई।
रांची जेल बड़ी दुखदाई।।14
धीमा जहर दिया खिलाई।
नौ जून को भये बिदाई।।।15
तुमसा पूत दिखा न कोई।
रांची की जनता सब रोई।।16
नौ जून उन्नीस सौ, बिरसा का बलिदान।
धन धन ऐसे पूत को कहत हैं कवि मसान।।
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

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