आस्तीन के सांप
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   आस्तीन के सांप बन न डसा करो  अपने हो तो अपने बन ही रहा करो। किसी वन के विषधर की तरह दांतों में विष छुपा न रखा करो  जैसे हो वैसे ही बन रहा करो। सभ्यता का मोल नहीं मिलेगा  तुम्हें असभ्यता ढोकर कर कभी। होना है सभ्य तो सभ्यता ओढ़  तुम ज़रा सा चला करो। धोन…
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वोट डालने जाओ भाई
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   वोट डालने जाओ भाई। अपना करम निभाओ भाई।।1 मत देना अधिकार हमारा। इससे बनती है सरकारा।।2 प्रजातंत्र के हो रखवाले। मतदान तो सही कराले।।3 तेरह मई को फ़र्ज़ निभाओ। काम छोड़कर बटन दबाओ।।4 जात पात को ध्यान न देना। सेवाभावी को मत देना।।5 बीएलओ से पर्ची लाओ। एक…
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नर्सिंग की सेवा को जानो (नर्स दिवस पर विशेष)
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   नर्स नर्स कह सभी बुलाते। परिचारिक बन तुम आ जाते।।1 सिस्टर सिस्टर भाई भाई। जग की सेवा लक्ष्य बनाई।।2 कोई दीदी सिस्टर कहते। मेल नर्स को भैया कहते।।3 नर्सिंग सेवा जग सुखदाई। रोगी के हो तुम ही भाई।।4 पीड़ाहारी तुम सुख दाता। सेवा करते भाग्य विधाता।।5 डॉक्ट…
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अट्ठावन पूरे भये (जन्म पर विशेष)
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   अट्ठावन पूरे भये,उनसठ का है आन। सब संतों को नमन करुं,कहत हैं कवि मसान।।1 दिन में गर्मी बहुत थी,जेठ मास की धूप। रात रंगीली चांदनी,समय हुआ अनुरूप।।2 आगर नगरी धन्य है, बैजनाथ का धाम। भोले की ही कृपा से, पूर्ण हुये सब काम।।3 धीरे-धीरे बड़े भये, फिर दाखिल …
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माँ
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   जो तुम जन्नत ढूंढ रहे वो सिर्फ मां के आंचल में। जो तुम मोहब्बत ढूंढ रहे वो सिर्फ मां की गोद में। जो तुम लगाव ढूंढ रहे वो बस माँ की आंखों में। जो तुम स्वर्ग ढूंढ रहे वो बस माँ के पांव में। जो तुम उल्लास ढूंढ रहे वो बस माँ की बाहों में। जो तुम तड़प ढूंढ…
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मजदूरों की पीड़ा भाई (मजदूर दिवस पर विशेष)
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   प्रातः जल्दी मैं उठ जाता। रामराम कह प्रभु गुण गाता।। खेती करता पशु चराता। धूपों से भी नही घबराता।। रूखा सूखा बासी खाता। दुख से अपना समय बिताता।। मैकेनिक भी मैं बनकर के। गाड़ी रोज सुधारा करता।। चाय नाश्ता जो भी मिलता। खा पीकर मैं काम चलाता।। जान हथेली …
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मजदूर
प्रीति शर्मा 'असीम', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। दिनभर  मोल -भाव  सह कर मजदूरी करता । अपनी हथेली पर, अपनी किस्मत की  , खुद ही रेखाएं गढ़ता। हड्डियों को गलाकर, हर रोज लोहा करता।  पेट की खातिर, इंसानी मंडी में हर रोज कटता। अपने सपनों को छोड़कर , साइकिल के स्टैंड पर । वो नन्ही आंखों के लिए, एक ख…
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हम नागरिक आगर वाले
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   सीधे सच्चे भोले भाले। बैजनाथ के भक्त निराले।। लाल माटी में खेलन हारे। देश धर्म को सदा विचारें।। संस्कृति  संस्कार वाले। हम नागरिक आगर वाले।।1 अतिथियों के सत्कार वाले। राज अगरिया भीलों वाले।। अच्छे स्वास्थ्य सेहत वाले। लोग नगरिया के मतवाले।। दाल बाफला …
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पुस्तकों का भंडार हो (पुस्तक दिवस पर विशेष)
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। पुस्तकों का अंबार हो ज्ञान का भंडार हो। शब्दकोश उपहार हो भावों का संसार हो। मानवता का सार हो जाति धर्म से पार हो। पुस्तकों में इतिहास हो ईश्वर का वास हो। गणित ज्ञान भी खास हो हर मानव के पास हो। भविष्य का आभास हो वर्तमान का एहसास हो। सीदा सादा वेश हो जीव…
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श्री मार्कंडेय ऋषि द्वारा रचित दुर्गा कवच रूपांतरण दुर्गा चालीसा
खेमचंद "यादवेश" हिन्नवार,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। शैलपुत्री मां आप ही,ब्रह्मचारिणी मात। चंद्रघंटा कूष्मांडा ,हो जग जननी विख्यात ।। स्कंद कात्यायनी कालरात्रि,देवी मात हमार। महा गौरी नव सिद्धिदात्री,सुनलो मात पुकार।। ऊपर रक्षक वीर ब्रह्माणी। ज्ञान वाणी शारद दानी।।1 पूर्व ऐद्री मां की …
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मां जो कहती थी
हितेन्द्र शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। मेरी माँ को गुजरे आज (चैत्र माह, शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि) को 11 साल हो गए हैं, लगता है जैसे उनकी मृत्यु कल ही हुई हो, लेकिन उनका स्नेह और आशीर्वाद सदैव मेरे साथ है। वास्तव में माता-पिता के दिए संस्कारों से ही हमारा जीवन संवरता हैं, मां के चरणों में सम…
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हम मालिक अपनी मर्जी के
डॉ. शैलेश शुक्ला, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। न मैडम के, न सर जी के  हम मालिक अपनी मर्जी के।  ज्यादा की कोई चाह नहीं इसलिए कोई परवाह नहीं जो बोया वो ही पाया है  जो है वो खुद कमाया है  सत्ता के किसी  दरबार में  नहीं प्रार्थी हम किसी अर्जी के         हम मालिक अपनी मर्जी के...   कबीर तुलसी के वंशज हम  …
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हम सनातन
डॉ. शैलेश शुक्ला, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   हम सनातन, हम सनातन, युगों-युगों से इस धरा पर, बस बचे हैं हम यहाँ पर, हम अधुनातन हम पुरातन।   सृष्टि का आगाज हम हैं, कल भी थे और आज हम हैं, सहस्त्रों वर्षों की कहानी, दुनिया भर में है निशानी।   विश्व भर से ये कहेंगे, हम रहे हैं,  हम रहेंगे अपनी जिद पर ह…
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राम आए हैं
डॉ. शैलेश शुक्ला,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं। राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं। तम घोर था निराशा का दीप बुझा था आशा का अब देखो चहुँ ओर सब दिव्य-दीप जगमगाए हैं राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं…
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महाठगबंधन
डॉ. शैलेश शुक्ला, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। कभी गरियाते हैं,  तो कभी गले लगाते हैं निज लाभ लोभ में  एक-दूजे को सहलाते हैं एक पूरब एक पश्चिम,  एक उत्तर एक दक्षिण  देखो सब मिलकर अब क्या-क्या गुल खिलाते हैं।  जनता को सदा छलते रहे  हक उनका ये निगलते रहे  विचारधारा मिले या न मिले   ये तेल में पानी मिला…
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तेरे जीवन में सार नहीं
मदन सुमित्रा सिंघल,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। जो प्यार से लबालब नहीं जिसमें ओरों का प्यार नहीं नहीं जानता जीवन जीना  पत्थर है उसमें इजहार नहीं घृणा से विष व्यापन होता जिसका शिष्ट व्यवहार नहीं बोझ है लेकिन शिष्टाचार नहीं जन्म मानव का पाया अवश्य जहाँ अतिथि का सत्कार नहीं कुंठित पिङित तु है दानव तुम…
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