श्री मार्कंडेय ऋषि द्वारा रचित दुर्गा कवच रूपांतरण दुर्गा चालीसा

 

खेमचंद "यादवेश" हिन्नवार, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

शैलपुत्री मां आप ही,ब्रह्मचारिणी मात।
चंद्रघंटा कूष्मांडा ,हो जग जननी विख्यात ।।
स्कंद कात्यायनी कालरात्रि,देवी मात हमार।
महा गौरी नव सिद्धिदात्री,सुनलो मात पुकार।।
ऊपर रक्षक वीर ब्रह्माणी।
ज्ञान वाणी शारद दानी।।1
पूर्व ऐद्री मां की सेवा।
पश्चिम रक्षक वारुणी देवा।।2
उत्तर रक्षक दांत कौमारी ।
वाराही दक्षिण आयु हमारी।।3
धर्म व नीचे वैष्णवी माता।
पीछेदिशा सब विजया पता।4
ईशान उधर है सूलधारिणी। 
वायु कोण में मृग वाहिनी।।5
अग्नि कोण में अग्नि देवा।
नैऋत्य खड़गधरणी सेवा।‌।6
शव वाहिनी चामुंडा आशा।
आगे सदा जया का वासा।।7
दांई रक्षक मां अपराजिता।
मां उद्योतनी शिखा राजिता।8
बांए अंगा मात अजीता। 
कालरात्रि आंतों सुख पाता।9
 मस्तक उमा अरु मालधारी।
यशस्विनी भौंह त्रिनेत्रावारी।10
नाशिका रक्षक यमघंटा माई। 
नेत्र मध्य मां शंखिनी पाई ।।11
द्वार वासिनि शांकरी काना।
कपोल-कालिका रक्षाआना।12
रक्षा सुगंधा करती नासिका ।
ऊपर होंठ में नाम चर्चिका।।13
नीचे होंठ में अमृत कला।
चंडिका रक्षा कंठ संभला ।।14
रक्षक गले चित्र घंटा पाया।
तालु रक्षा करती महामाया।।15
ग्रीवा पे माता भद्रकारी।
प्रष्ठ -अस्थियां रक्षक धनुर्धरी।16
बाहरी कंठ नील ग्रीवा माई।
कंठ नली नलकूबरी पीई।।17
मनकी रक्षकशोकविनाशिनी।
भुजा की रक्षा वज्र धरिणी।18
कंधों रक्षा करती खंगनी।
दोनों हाथ रक्षक दण्डिनी।19
अंगुली रक्षक अंबिका माई।
अभेद्या देवी संधियों पाई।।20 
कुक्षिकी कुलेश्वरी सेवी।
स्तनों की माता महादेवी।।21
हृदय की रक्षक ललिता माई।
नाभि रक्षा कामिनी आई।।22
चिबुक रक्षा मां कामाक्षी।
वाणी सर्व मंगला साक्षी।।23
रोम छिद्रों की मां कौबेरी
बागीश्वरी त्वचा रक्षक मेरी।24
रक्षक प्राण कल्याण शोभना
योगिनी रक्षक इंद्री योवना।।25 
सुपथ सुरक्षा क्षेमकारी माई।
पाप नाशिनी हर भूमि पाई।26 
गुह्येश्वरी गुप्त इंद्री सेवा।
लिंगरक्षक पूतकामिनी देवा।27
महिष वाहिनी गुदा की रक्षा
भगवतीकटिकी करे सुरक्षा।28 
घुटने रक्षक विंध्यवासिनी ।
महाबला जंघा निवासनी।29
नारसिंह गुल्फों की रक्षा।
तैजसी पांव तले सुरक्षा।30
स्थान सभी करें जयंती माई।
उधर्व केशिनी केशों आई।31
छाया रक्षक छात्रेश्वरी माता
धर्मधरिणी मन बुद्धि पाता।32
धन विद्या की रक्षक चक्रिणी।
गोत्र की रक्षक मां इंद्राणी।33
मास मंजा की मां पार्वती
पद्मकौण्ड रक्षक पद्मावती।34
मुकुटेश्वरी मां पित्त की रक्षा।
चूड़ामणि  कफ करे सुरक्षा।35
श्रीदेवी अंगुली में पाई।
तलवासिनी तलुओंकी सहाई।36
ज्वालामुख दंष्टांत करली।
शूलेश्वरी नाखून वाली।37
सत्व तम नारायणी हमारी
यशकीर्ति रक्षा लक्ष्मीन्यारी।38
चण्डिके करती पशु की रक्षा।
भैरवी भार्या करत सुरक्षा।।39
राजद्वार सुत रक्षा आई।
"यादवेश" महालक्ष्मी माई।40
शंख चक्र गदा हल मूसल, कर ले मात हमार ।
परसु पाश त्रिशूल धनु तीर, करती देत्य संघार।।
ग्वालटोली नर्मदापुरम म प्र
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