फर्क
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   जमीन और आसमान में फर्क होता है। फर्क होता है। मोहब्बत और नफरत में फर्क होता है। अपने और पराये में फर्क होता है। जीत और हार में फर्क होता है। दिमाग और दिल में फर्क होता है। जायज और नाजायज में फर्क होता है। हकीकत और कल्पना में फर्क होता है। गुरु और शिष…
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उदासियों भरा रहा 2023
अमिताभ शुक्ल,शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। युक्रेन रूस युद्ध, आग की तरह की महंगाई, स्वजनों से जुदाई और कुछ  का बिछड़ना, कोरो ना फिर आने की खबरों का बार-बार आना , राजनीति का सिर्फ आतंक मचाना । ऐसे बीत गया बहुत भारी वर्ष 23 , फुलझड़ियों की तरह आए बीच बीच में रेशमी पल , पर वो बस रहे पल, न बन सके आज और कल…
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नये साल के नये हिसाब
प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   आओ! नए साल पर कुछ हिसाब-किताब कर ले । जिंदगी ने लम्हा -लम्हा कितना घटाव दिया। उस सब का जोड़ कर ले । जो दर्द कई गुना बढ़ते ही गए। आओ! चंद उम्मीदों से उन्हें भाग कर ले । आओ! नए साल पर .............. जिंदगी बड़ी तेजी से निकल जाती है । जबकि लगत…
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नया वर्ष
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। नया वर्ष नया पैगाम लाया है। नफरत नहीं मोहब्बत का एहसास लाया है। नया वर्ष नया जुनून लाया है। हार नहीं जीत का ख्वाब लाया है। नया वर्ष नई बहार लाया है। खिलती नहीं जो कलियां उनको फूल बनाने आया है। नया वर्ष नया इतिहास लाया है। मिला नहीं जो आज तक उसकी आशीष ल…
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किसान
प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   किसान एक जीवन धरा हाथ की लकीरों से , लड़ जाता है। जब बंजर धरती पे, अपनी मेहनत से, हल से, लकीरें खींच जाता है। हाथ की लकीरों से, लड़ जाता है। कभी स्थितियों से, कभी परिस्थितियों से, दो- दो हाथ करता है। वो पालता है, पेट सबके। खुद आधा पेट भर के,…
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मुश्किल
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   मुश्किल से तुम आए हो मुश्किल से हम आए हैं मोहब्बत नहीं है दो तरफा फिर भी हम इश्क अपना आजमाएंगे। मुश्किल से रास्ता मिला है मुश्किल से सफर शुरू किया है हमसफर नहीं है कोई फिर भी हम जुनून अपना आजमाएंगे। मुश्किल से ख्वाब संजोय है मुश्किल से अधिकारों के लि…
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अस्तित्व
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   किसी के पास जब कुछ बचता नहीं बुलाए तब तो कोई मैं इतना सस्ता नहीं। माना की प्रेम चाहिए जीवन में मगर मांगना पड़े भिख की तरह वो भी जचता नहीं। माना की जीवन में कुछ चीजें हासिल नहीं हुई फिर भी देखकर औरों की तरक्की मैं कभी जलता नहीं। युवा कवि व लेखक गांव ज…
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शिवपुराण से....... (411) गतांक से आगे.......रूद्र संहिता, द्वितीय (सती) खण्ड
दक्ष की यज्ञ की रक्षा के लिए भगवान् विष्णु से प्रार्थना, भगवान् का शिवद्रोहजनित संकट को टालने में अपनी असमर्थता बताते हुए दक्ष को समझाना तथा सेना सहित वीरभद्र का आगमन   महेश्वर का अपमान करने से ही तुम्हारे ऊपर महान् भय उपस्थित हुआ है। हम सब लोग प्रभु होते हुए भी आज तुम्हारी दुर्नीति के कारण तो संकट…
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गुरु नानकदेव चालीसा
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। आदिगुरु हैं नानका,पीछे अंगद देव। अमरदास गुरू रामजी,पंचम अर्जनदेव।। हरगोविन्द हररायजी,हरकिशन अरु तेग। दशम गुरु गोविन्दजी, हरते पीड़ा वेग।। जयजयजय गुरुनानक देवा। सांची वाणी मानव सेवा।।1 रावी तट तलवंडी ग्रामा। गुरु जनमें पावन ननकाना।।2 सन चौदह उनहत्तर साला…
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जीवांत जीवन
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। बढो़ गए जीवन में तो उड़ते रहो गए जीवांत पक्षी की तरह नहीं तो टूट कर बिखर जाओगी किसी शाख के मुझराये पते की तरह। जीवांत हो  तो जीना पड़ेगा सूर्य चांद की तरह नहीं तो पड़े रहो गए शमशान की जली बुझी  हुई राख की तरह। जीवांत हो  तो महकते रहो गए किसी सुगंधित फूलो…
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हिमाचल गान
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। उच्च हिमालय बहती नदियां कल कल करती झरनों की आवाजें फैली हरियाली ,सुगंधित सुमन महके समीर,बहकी कलियाँ ऐसी गोद हिमाचल की जय जय जय हिमाचल की। ऊंचे वृक्ष,नीची नदियां कर्कश करती चट्टानें चहकते पक्षी,महकती फसलें सरसराहट करता पानी गरजते बादल,बसरते घन ऐसी गोद ह…
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जिंदगी बड़ी
प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। जिंदगी! बड़ी बेरहमी से सच दिखती है। कितना भी बहलाते रहे खुद को । ऐसा नहीं है ? ऐसा हो नहीं सकता जबकि, ऐसा ही था? साथ सच के बीते लम्हों की हर बात को बड़ी खामोशी से बयां कर जाती है । जिंदगी बड़ी बेरहमी से सच दिखती है । जिंदगी सच को बड़ी बेरहमी …
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जिस रोज तुम
प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। जिस रोज तुम गए थे मुझे छोड़ कर। दो शब्द भी हिस्से न आयें मेरे। कुछ तो कहा होता......... कुछ बोल कर।। जिस रोज तुम गए थे मुझे छोड़ कर।। इंतजार को छोड़ा था मैंने जिस मोड़ पर। दिल को तोड़ा था तूने दिल से जोड़ कर। मैं फरियादें कहा करता रब से कुछ बोल कर…
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दौर
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। एक दौर आएगा मेरा एक शोर आएगा मेरा। समझते थे जो मुझे औरों से भी कमजोर इतिहास-ऐ-पन्नों पर अब नाम आएगा मेरा। एक वक्त था कि लोग ना जानते थे ना ही पहचानाते थे पर वक़्त के हर पनें पर अब नाम आएगा मेरा। कमजोरों से भी कमजोर समझते थे लोग मुझे परायों से भी पराया स…
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दीप
डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। सुनो! दीपों का त्यौहार आ रहा है अपने अंदर भी कर लेना। अंधकार बहुत है तुम्हारे अंदर भी तभी दिखता नहीं तुम्हें औरों का व्यक्तित्व । सत्य की रोशनी में औरों को तुम्हारा अहम। इस बार दीपों की रोशनी में तुम्हारा ज़िदी अहम। (युवा कवि व लेखक) पता-गांव जनयानकड़ पि…
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प्रणाम बारम्बार
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। नमस्कार प्रभु श्री राम  प्रणाम बारम्बार  श्रद्धा रूपी भेंट हमारी  स्वीकार करो । जीवन हमारा मंगलमय करो ।। प्रभु तुम कण-कण में  तुम में सारा जग समाया  सब तुम्हारी ही माया । रक्षक- पोषक दाता तुम  राजा-रंक सब के पालनहारी तुम  परम कृपालु- परम दयालु  करु…
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हुस्न-ऐ-जलवा
राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। बिकती है जब निगाहें तेरी तो झुकता है शहर सारा, फिरता हूँ जब गम-ए-आरजू लिए तो बहता है मेरा दर्द सारा, चलता है जब हुस्न-ऐ-बाजार मचलता देख शहर सारा, मुस्काती जब आँखे तेरी क़ातिली तो धड़कता है हर दिल प्यार, उड़ती जुल्फें जब तेरी मटकती बहता देख आशिक़ हर आवारा। राजकीय…
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चाय चाय चाय
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   चाय नशा है पीलो चाय। चाय अमृत जीलो चाय।।1 उड़ती सुस्ती फुर्ती आय। काका जी को लगती चाय।।2 नये संबंध बनाती चाय।  रोज थकान मिटाती चाय।।3 सबके मन को भाती चाय। सुबह शाम दिन में चाय।।4 रुकते काम बनाती चाय। चाय चाय सब चिल्लाय।।5 बाबू जी भी होटल जाय।  धीरे से…
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शिवपुराण से....... (407) गतांक से आगे.......रूद्र संहिता, द्वितीय (सती) खण्ड
प्रमथगणों सहित वीरभद्र और महाकाली का दक्ष यज्ञ विध्वंश के लिए प्रस्थान, दक्ष तथा देवताओं को अपशकुन एवं उत्पादसूचक लक्षणों का दर्शन एवं भय होना  गतांक से आगे........  भगवान् शिव ने केवल शोभा के लिए उनके साथ करोड़ों महावीर गणों को भेज दिया, जो प्रलययाग्नि के समान तेजस्वी थे। वे कौतूहलकारी प्रबल वीर प्…
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सनातन का आधार सुन
गिरधारी अग्रवाल,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। शांति से तु बात सुन, सनातन का आधार सुन, ना बदला है ,ना ही बदलेगा, सत्य सनातन का। जो कुछ भी तू मानता है, भ्रम ही आधार है। जो कहानी गढ़ता है तू, उसका सुत्रधार है।। सनातन कि पगडंडी पे, स्वयं को पहचानेगा। अंतर्मुखी होकर तु खुद से खुद को जानेगा।। दूसरों को कै…
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