उदासियों भरा रहा 2023
अमिताभ शुक्ल,शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
युक्रेन रूस युद्ध, आग की तरह की महंगाई,
स्वजनों से जुदाई और कुछ  का बिछड़ना,
कोरो ना फिर आने की खबरों का बार-बार आना ,
राजनीति का सिर्फ आतंक मचाना ।
ऐसे बीत गया बहुत भारी वर्ष 23 ,
फुलझड़ियों की तरह आए बीच बीच में रेशमी पल ,
पर वो बस रहे पल, न बन सके आज और कल ,
उम्मीदें जितनी तेजी से आईं और जागीं ,
उतनी ही तेजी से हुईं रफा ,दफा ।
न दर्द सिल पाए और ,
न लग पाया घावों पर मरहम ।
कुछ और नए जख्म उभर आए ,
जिनकी टीस न मिटेगी अब उम्र भर ।
फुलवारियो से रेगिस्तान और बियाबान की ओर जाती जिंदगी में ,
सोचते ही रहे कुछ नए पुष्प आ जाएं ,
पर लगे हाथ कांटे ही कांटे ,
लहूलुहान हुआ शरीर,दिल, दिमाग और आत्मा।
क्या बताएं अब और इस गुजरते वर्ष की दास्तान ,
अब जिंदगी में और कुछ भले हो जाए ,
इस मनहूस साल जैसा साल कभी न आए ,
जिंदगी जीने को सुकून भरे कुछ वर्ष जरूर मिल जाएं।
भोपाल, मध्यप्रदेश
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