नये साल के नये हिसाब
प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 
आओ! नए साल पर कुछ हिसाब-किताब कर ले ।
जिंदगी ने लम्हा -लम्हा कितना घटाव दिया।
उस सब का जोड़ कर ले ।
जो दर्द कई गुना बढ़ते ही गए।
आओ! चंद उम्मीदों से उन्हें भाग कर ले ।
आओ! नए साल पर ..............
जिंदगी बड़ी तेजी से निकल जाती है ।
जबकि लगता है यह गुजराती ही नहीं  है।
इसी बात पर फिर से वहीं बात कर ले।
घूम -घाम कर फिर से उसी घेरे में घूमती है जिंदगी।
हम खड़े किसी त्रिकोण में जिंदगी को, 
फिर से नई उम्मीद से वर्गाकार कर ले ।
आओ! नए साल पर ..............
जो लोग कहते है।
यह करेंगे, वह करेंगे रेजोल्यूशन तो एक भुलावा  है ।
जबकि हम भी जानते हैं ।
पिछले बीते हुए तमाम सालों में कौन -सा खंबा उखाड़ डाला है।
आओ फिर भी, फिर से एक नई उम्मीद कर ले ।
आओ! नए साल पर ..............
पिछले सालों की बजाय इस साल कुछ नया होगा।
इसी बात पर पुराने साल को नए साल के स्वागत में विलय कर ले।
जमा-घटाव तो चलते ही रहेंगे।
अपनी हिम्मत से हर हार को जीत में बदलने का ऐलान कर ले
आओ! नए साल पर ..............
नालागढ़, हिमाचल प्रदेश
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