गिरधारी अग्रवाल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
शांति से तु बात सुन,
सनातन का आधार सुन,
ना बदला है ,ना ही बदलेगा, सत्य सनातन का।
जो कुछ भी तू मानता है, भ्रम ही आधार है।
जो कहानी गढ़ता है तू, उसका सुत्रधार है।।
सनातन कि पगडंडी पे, स्वयं को पहचानेगा।
अंतर्मुखी होकर तु खुद से खुद को जानेगा।।
दूसरों को कैसे तू ,सही समझ पाएगा।
खुद का ठिकाना नहीं, भ्रमित रह जायेगा।।
साम, दाम, दंड,भेद, काम नहीं आएगा।
मन की बैचेनी में, बिलखता रह जाएगा।।
अभी भी समय है तेरा, स्वयं को संभाल ले।
सत्य को जी कर देख, खुद को पहचान ले।।
समय बहुत कीमती है, उसको ना बर्बाद कर।
सत्य ( सनातन ) पर चल ले, खुद को आबाद कर।।
स्वयं से स्वयं ( आत्मा ) की ओर, जीवन का आधार है।
सत्य सनातन है, मनुष्य के जीवन का उपचार है।।
शांति से तु बात सुन,
सनातन का आधार सुन,
ना बदला है, ना ही बदलेगा, सत्य सनातन का।।
मुंबई, महाराष्ट्र