पापा की प्यारी बेटियां


राधा-नागूसिंह चौहान झलारा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
पापा की परी से जिम्मेदार
बन जाती हैं बेटियां।
तेरा मेरा करते करते हमारा
कहना सीख जाती हैं बेटियां।
थोड़े काम में थकने वाली
घर संभालने लगती हैं बेटियां।
बाबुल के घर की रौनक से
ससुराल का दिया बन जाती है बेटियां।
हर बात पर जिद करने वाली
आज चुपचाप सुन लेती हैं बेटियां।
हर बात में पैसा खर्च कराने वाली
घर जोड़ने लगती हैं बेटियां।
सच ही कहा है किसी ने बेटी से
बहू तक बहुत बदल जाती हैं बेटियां।
कक्षा 11 कला संकाय शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तनोडिया, आगर (मालवा) मध्य प्रदेश
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