घटने लगा हथिनीकुंड बैराज का जलस्तर, हो सकती है सहारनपुर, शामली, बागपत, गाजियाबाद के किसानों को परेशानी

शि.वा.ब्यूरो, सहारनपुर। यमुना में पानी कम आने से उत्तर हरियाणा की सीमा पर स्थित हथिनीकुंड बैराज का जलस्तर घटने लगा है। ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की फसलों को सींचने वाली पूर्वी यमुना नहर को बैराज से शेयर के हिसाब से मिल रहा पानी पर्याप्त नहीं है। इन दिनों पूर्वी यमुना नहर में मात्र 434 क्यूसेक पानी है, जो शामली तक जाते-जाते आधे से भी कम रह जाता है। जनपद में भी नहर में पानी कम आने के कारण सिंचाई प्रभावित होने लगी है। आगामी मई और जून में पानी का संकट और गहराने के कारण सहारनपुर के अलावा शामली, बागपत, गाजियाबाद के किसानों के सामने गन्ने व ज्वार सहित अन्य फसलों की बुवाई और सिंचाई का संकट खड़ा हो जाएगा।

हथिनीकुंड बैराज पर जलस्तर 3086 क्यूसेक रिकार्ड किया गया। इस पानी में शेयर के हिसाब से पूर्वी यमुना नहर को 434 क्यूसेक, हरियाणा को जाने वाली पश्चिमी नहर में 2300 क्यूसेक व यमुना नदी में 352 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। कम पानी के कारण जनपद में सभी नहरों और रजबाहों में पानी नहीं है, जिससे सिंचाई का संकट बना है। यूपी के सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पर्याप्त सिंचाई के लिए पूर्वी यमुना नहर में 1000 क्यूसेक से अधिक पानी मिलना चाहिए और यह हथनीकुंड बैराज के जलस्तर पर निर्भर करता है, क्योंकि बैराज का जलस्तर जितने क्यूसेक होगा,उसी के शेयर के हिसाब से 33.69 प्रतिशत पानी पूर्वी यमुना नहर में छोड़ा जाता है। 4400 क्यूसेक क्षमता वाली पूर्वी यमुना नहर में बैराज से मिल रहे पानी की मात्रा बेहद कम है, जो जनपद में ही सिंचाई के लिए नाकाफी है। नानौता के पास कुआंखेडा से पहले ही यह पानी खत्म हो जाता है। यहां पर बने संगल में आसफनगर नहर से गंग नहर का करीब 800 क्यूसेक पानी पूर्वी यमुना में छोड़ा जाता है। ये ही पानी शामली और बागपत तक पहुंच पाता है।

हथिनीकुंड बैराज से यमुना के पानी के बंटवारे को लेकर तत्कालीन राज्यों की सरकारों के बीच 12 मई 1994 को समझौता हुआ था। जिसमें अनुसार बैैराज पर कुल पानी का 66.31 प्रतिशत पानी पश्चिमी यमुना नहर (हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान) और 33.69 प्रतिशत पानी पूर्वी यमुना नहर (उत्तर प्रदेश) को मिलता है। यूपी के बंटवारे वाले पानी में से 352 क्यूसेक जलीय जीव के लिए यमुना नदी में छोड़ा जाता है। इसके बाद दून कैनाल, खारा नहर, कलसिया नहर, रजबाहा कल्लरपुर में निर्धारित पानी छोडे जाने के बाद जो पानी बचेगा वो ही पानी पूर्वी यमुना नहीं छोडा जाता है। यानि तमाम पानी के बंटवारे यूपी के हिस्से में वाले 33.69 प्रतिशत पानी से ही होते है, इसी कारण पूर्वी यमुना नहर सहारनपुर से लेकर गाजियाबाद तक के किसानों की फसलों की सिंचाई नहीं कर पाती है। बैराज पर आने वाले पानी पर पूर्वी यमुना नहर का पानी निर्भर है, जो लगातार कम हो रहा है। जिले में ही कम से कम 1000 क्यूसेक पानी चाहिए, मगर यह पानी नहीं मिल रहा है। इसी कारण जनपद में सभी नहरों में पानी नहीं है। आगे पानी का संकट और भी गहरा सकता है।

भाजपा सांसद प्रदीप चौधरी ने कहा कि पानी के बंटवारे के समझौते के अनुसार हमें पानी बहुत कम मिलता है। इसी कारण सहारनपुर, शामली जनपद में सिंचाई पर्याप्त नहीं होती है। मुद्दा बहुत अहम है, इसे संसद में उठाया जाएगा, ताकि पानी के बंटवारे का समझौता बदला जा सके।

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