आँचल की छाँव

प्रीति शर्मा 'असीम', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 
मां के आँचल की छाँव बडे़ नसीब से मिलती है ।
जिंदगी के तुम्हारे हर दुःख-दर्द -हार को सुन ,
जब वो हिम्मत देकर ...तुम्हें कुछ कहती है ।
वह मुस्कान बहुत विरलों को ही मिलती है ।
मां के आंँचल की छांँव बडे़ नसीब से मिलती है ।
वह हर रोज तुम्हारा हाल जानकर ,
तुम्हारे दिलोदिमाग़ को कितना हल्का करती है ।
हर सांस के साथ जो तुम्हारी सलामती की दुआ करती है।
उसके हाथों की सिहरन कंधों पर बड़ी किस्मत से मिलती है।
मां के आँचल की छाँव बडे़ नसीब से मिलती है।
उसकी रहमत खाली नहीं जाती ।
वह तुम्हें तुम्हारी हर जीत में मिलती है ।
रब को भी आज़मा के देख लेना।
रब- सी मां बड़ी किस्मत से मिलती है ।
नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश

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