स्वामी विवेकानंद और जीजाबाई राग फैलाने में जुटा मोक्षायतन

गौरव सिंघल, सहारनपुर। स्वामी विवेकानंद ने गुलाम भारत में जन्म लेकर अमेरिका और ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों को वेदांत, भारतीय दर्शन और संस्कृति का संदेश दिया, लेकिन आज स्वाधीन भारत को स्वामी विवेकानंद और उनके वेदांत, दर्शन और भारतीय संस्कृति के संदेश की अधिक जरूरत है। अपनी युवा शक्ति से जो उम्मीद स्वामी जी ने सौ साल पहले की थी, उसे पूरा करने का वक्त आ गया है। उन्होंने कहा था कि फौलादी स्नायु और लौह जैसी मांसपेशिवों वाले सौ नौजवान भी मुझे मिल जाएं तो मैं दुनिया का नक्शा बदल सकता हूं। विवेकानंद के सपनो के युवक तैयार करने के लिए हमारे युवाओं में ब्रह्मचर्य स्वाध्याय और संस्कार की बुनियाद मजबूत करनी होगी और उन्हें अपने वेश, देश, धर्म और संस्कृति पर गर्व करना सीखना होगा। आज मोक्षायतन योग संस्थान में स्वामी विवेकानंद और छत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई की जन्म जयंती पर यज्ञ के साथ साधकों व गण्य मान्य नागरिकों को संबोधित करते हुए योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण ने ये विचार व्यक्त किए और इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि  मोक्षायतन अंतर्राष्ट्रीय योगाश्रम विवेकानंद और जीजाबाई राग फैलाने में जुटा हुआ है। सभी साधक जहां एक ओर आश्रम वेश में विवेकानंद की झलक छिटका रहे थे वहीं महिला साधक भी सिर पर केसरिया पगड़ी में वीरांगना जीजाबाई और लक्ष्मीबाई की याद ताजा करा रहीं थी। 

बता दें कि पिछले दिनों सरसंघ चालक मोहन भागवत और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के मोक्षायतन योगाश्रम आने पर गुरु स्वामी भारत भूषण ने उनके सिर पर भी विवेकानंद वाली केसरिया पगड़ी अपने हाथों से बांध कर उनका सांस्कृतिक स्वागत किया था। इस अवसर पर १९६० के दशक में नामचीन बॉडी बिल्डर रहे रामचंद्र कपूर ने नए साधकों को आशीर्वाद देते हुए कहा के योग और शरीर सौष्ठव के साथ युवाओं में विवेकानंद और दयानंद तथा बच्चियों को जीजाबाई और अहिल्या के संस्कार पैदा करने का अनूठा कार्य देखने का सौभाग्य हमें मिल रहा है। 

आज के कार्यक्रम में नए साधकों को केसरिया पगड़ी पहनने का प्रशिक्षण साधक संघ के सचिव नंद किशोर शर्मा और योगाचार्य अनीता शर्मा, सीमा गुप्ता, सतीश चावला, सुमन्यु सेठ और अमरनाथ ने दिया।

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