गौरव सिंघल, देवबंद। आराध्य धाम प्रणेता परम पूज्य आचार्य श्री 108 अरूण सागर जी महाराज के मार्गदर्शन में श्री दिगंबर जैन पारसनाथ मंदिर जी सरागवाड़ा देवबन्द में 48 दिवसीय भक्तांबर महामंडल विधान पूजन का आयोजन हो रहा है। महाराज श्री ने 48 श्लोक का पाठ कर मंत्रोच्चार द्वारा भक्तो के साथ अर्घ चढ़ा कर तीर्थंकर आदिनाथ भगवान की स्तुति करी। जैन समाज ने बताया कि आचार्य श्री 108 अरुण सागर जी महाराज का 23 वर्षों के बाद धर्म नगरी देवबंद में 37 वां वर्षायोग सौभाग्य से हमें प्राप्त हुआ। वर्षायोग के लिए महाराज श्री का 7 जुलाई 2025 को धर्मनगरी में प्रवेश हुआ तथा वर्षायोग मंगल कलश स्थापना 13 जुलाई 2025 को होगी। 11 जुलाई 2025 से 27 अगस्त 2025 तक 48 दिवसीय भक्तांमर महोत्सव धार्मिक प्रभावना के साथ स्रोत महामंडल विधान पूजन का आयोजन चलेगा। जिसमें प्रतिदिन अलग-अलग पुण्यार्तक परिवार,भक्तजन श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा,पूजा-अर्चना कर पुण्य कमाएगें।
आचार्य श्री 108 अरुण सागर जी महाराज ने आचार्य मानतुंग देव द्वारा करीब 1400 वर्ष पूर्व तीर्थंकर आदिनाथ प्रभु की भक्ति में श्री भक्तांमर स्त्रोत के 48श्र्लोक की रचना के बारे में बताया कि मानतुगं देव की प्रभु के प्रति ऐसी भक्ति थी कि उसके शरीर की सारी जंजीरें एक-एक करके टूट गई तब से सभी भक्त अपनी क्षमता के अनुसार भक्ति करते हैं तब से व्रत ,उपवासना ,पूजन, विधान आदि करते हैं। श्री मानतुंग देव ने एक-एक अक्षर एकत्रित करके भक्तांमर स्त्रोत के 48श्र्लोक की रचना की। प्रत्येक श्लोक में 56 अक्षर है,इस प्रकार भक्तांमर स्रोत में कुल 2688 है। प्रथम दिन का भक्तांमर महामंडल विधान का आयोजन अंकित कुमार अविरल जैन (सिल्वर पैराडाइज फार्म हाउस/पालकी साड़ीज) द्वारा कराया गया। इस विधान में अर्चना जैन, चंदन जैन,शिल्पी जैन,सविता जैन,मोना जैन,आस्था जैन, नीतू जैन, अनुज जैन,सुदेश जैन,अभिषेक जैन,अजय जैन ,प्रदीप जैन, विनय जैन सहित सकल जैन समाज उपस्थित रहा।