जिले में 10 फरवरी को बच्चों-किशोरों को खिलाई जाएगी पेट के कीड़े निकालने की दवा

शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत आज राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें जिला स्तरीय प्रशिक्षकों बीसीपीएम, एमओआईसी, सीडीपीओ बीईओ, नोडल अध्यापकों को एक से 19 वर्ष तक के बच्चों और किशोरों को पेट के कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल खिलाने के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. महावीर सिंह फौजदार ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय की ओर से निर्देश प्राप्त होने के बाद आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर ड्यू लिस्ट तैयार करेंगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत साल में दो बार पेट के कीड़े निकालने वाली दवा खिलाई जाती है। उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि एक साल से लेकर 19 साल तक के बच्चों-किशोरों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलानी है।
नोडल अधिकारी डॉ. राजीव निगम ने बताया कि जिले में 10 फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाएगा, जिसके तहत 13.52 लाख बच्चों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। उसी के संबंध में आज समस्त ब्लॉक के चिकित्सा प्रभारी, बीपीओ, सीडीपीओ और नोडल अध्यापको को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। डॉ. लोकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि प्रशिक्षण में कृमि से होने वाले नुकसान एवं इसके बचाव के तरीकों को बताया गया। बताया गया कि एक से दो वर्ष तक के बच्चों को 200 मिग्रा, यानि आधी गोली व दो से 19 वर्ष तक के बच्चों व किशोरों को 400 मिग्रा, यानि पूरी गोली खिलाई जाती है। 
उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को गोली पीसकर दी जानी है, जबकि बड़े बच्चे इसे चबाकर खा सकेंगे। उन्होंने कहा कि 10 फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के मौके पर जो बच्चे किसी कारणवश गोली खाने से वंचित रह जाएंगे, उन्हें 13 से 15 फरवरी तक मॉप अप राउंड आयोजित कर एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। डा. लोकेश ने बताया कि पेट के कीड़े निकालने की दवा बच्चों-किशोरों को खाली पेट नहीं खिलाई जाती है, इसलिए अभिभावकों को हिदायत दी जाती है कि वह उस दिन बच्चों को खाना खिलाकर ही स्कूल भेजें। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त बीमार बच्चों को भी दवा नहीं खिलानी चाहिये।
डा. लोकेश ने बताया कि पेट के कीड़े (कृमि) बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इनके पेट में रहते बच्चे पनप नहीं पाते हैं और कई तरह की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों का एनीमिक और कुपोषित होने का एक बड़ा कारण पेट के कीड़े ही हैं। उन्होंने कहा कि यह कीड़े मनुष्य की आंत में रहते हैं और जीवित रहने के लिए शरीर के जरूरी पोषक तत्व को खाते रहते हैं, इस वजह से बच्चे एनीमिया और कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर संजीव मलिक ने कहा जिले में 13. 52 लाख बच्चों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाने का लक्ष्य है, शत प्रतिशत बच्चों को दवा खिलाने के विभाग के प्रयास रहेंगे।


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