डॉ. अ. कीर्तिवर्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
तुल ने तुल को मार कर,
स्थापित तुल राज,
तुल मर्यादा रूप हैं,
कुंभ दिये बिसराए।
मेष सदा संग में रहे,
बन सेवक का पर्याय,
कर्क औषधि लाय क़र,
मेष दियो बचाये।
मीन बहुत विचलित हुई,
सुन मिथुन की बात,
तुल के बिछुडन अहसास से,
प्राण दिये गँवाये।
मेष कुटनीतिज्ञ बहुत,
तुल को दिये ललकार,
तुल जब पैरों में झुका,
संदेश दिया सुनाये।
विद्यालक्ष्मी निकेतन, 53-महालक्ष्मी एन्क्लेव, मुज़फ्फरनगर उत्तर प्रदेश