डॉ. अ कीर्तिवर्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
कुंठाएं जीवन में हों,
मानव को डस लेती हैं,
सोच दूसरे को बेहतर,
खुद को डस लेती हैं।
क्या प्रभु ने दिया उसे,
जो अपने पास नहीं है,
इच्छाओं की नागिन,
तन मन को डस लेती है।
क्यों नारी सिन्दूर लगाए,
क्यों माथे पर बिंदिया,
क्यों चाहत में चैन उड़ाए,
क्यों रातों की निंदिया?
क्यों बंधन नारी पर हो,
नारी सवाल उठाती,
नहीं सोचती घर खातिर,
क्यों पुरूष हुआ चिंदिया?
मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश।