डॉ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
भादों की बरसात में,
मेरो मन हुलसाय।
मोहन तेरी याद में,
मोसे रहो न जाय।।१
बनो मेघ तुम दूतड़ा,
जाव पिया के पास।
प्रीतम के संदेश की,
रहती मन में आस।।२
बरसाने की राधिका,
नंद गांव के लाल।
रिमझिम रिमझिम बरस के,
सबको करो निहाल।।३
राधा ने ऐसी करी,
तुमसे कही न जाय।
बंसी मुकुट छुड़ाय के,
सखियां लई बुलाय।।४
घन बरसे घनश्याम से,
मघा पूरवा साथ।
ग्वाला घूमे गौ संग,
लई लकुटिया हाथ।।५
वृंदावन की गलिन में,
राधा संग गुपाल।
बलदाऊ के संग में,
गैया चारे लाल।।६
एक दिना की बात है,
मोहन माखन खाय।
पीछे आई गोपिका,
मां को लिया बुलाय।।७
मैया से कहने लगी,
चोरी करते लाल।
देखें तो पति बंधे मिले,
भाग गयो वो ग्वाल।।८
हाथ जोड़ कहने लगी,
माफ करो अब श्याम।
मैं तो मूरख गोपिका,
तू जग को घनश्याम।।९
लाला तुम बड़ चतुर हो,
हमें रहे भरमाय।
मीठी बातन से हमें,
कब से लइ बिलमाय।।१०
रोम-रोम राधा बसें,
कण कण में नंदलाल।
दुनिया में ढूंढत फिरों,
कहां गयो गोपाल।।११
भादो कृष्णा अष्टमी,
जनम लियो भगवान।
जेल द्वार भी टूटते,
बिजली है असमान।।१२
बाबा के सिर सूप है,
जमुना लेत हिलोर।
छोटो लल्ला पायके,
मैया भाव विभोर।।१३
नंद घर आनंद है,
जसोदा है बेहाल।
गोकुल सखियां गा रहीं,
लाला करे धमाल।।१४
नरसी द्रोपदी ने करी,
मोहन तोर पुकार।
नंगे पांयन दौड़के,
तूने करी संभार।।१५
राधे राधे रटते रहो,
राधे में ही श्याम।
नरसी मीरा सूर ने,
अरु पायो रसखान।।१६
23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश