कुशल प्रशासक ही नहीं, नेक दिल इंसान भी हैं एडीएम अमित कुमार सिंह, असम्भव शब्द डिक्शनरी में नहीं
हवलेश कुमार पटेल, कार्यकारी सम्पादक। नगर मजिस्ट्रेट के बाद वर्तमान में अपर जिलाधिकारी के रूप में जनपद में सेवाएं दे रहे अमित सिंह हरदोई की उस उर्वर सरजमीं के मूल निवासी हैं, जिसका प्राचीन इतिहास हिरण्यकश्यप से सम्बंधित है। एक किवदंती के अनुसार पुरातन काल में हरदोई का नाम हरि द्रोही हुआ करता था। हरिद्रोही का अर्थ हरि से द्रोह करने वाला यानी की भगवान् से बैर रखने वाला होता है। यह नाम यहां के तत्कालीन राजा हिरण्यकश्यप द्वारा भगवान् से बैर रखने के कारण पड़ा था, जो बाद में बिगड़ते-बिगड़ते हरदोई हो गया। इसके विपरीत संस्कृत के विद्वान डा. महेंद्र वर्मा के अनुसार हरदोई में ईश्वर के दो अवतार हुए हैं। पहला अवतार नरसिंह अवतार था और दूसरा वामन अवतार था। दो अवतार के कारण हरदोई शहर का प्राचीन नाम हरिद्वई था, बाद में यह नाम बदलकर हरदोई हो गया। बता दें कि हरदोई की जमीन बहुत ही समृद्ध और उपजाऊ है। ब्रिटिश शासन के दौरान भी इस जिले का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। लाॅर्ड डलहौजी ने अवध राज्य को हरदोई से जोड़ा था। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हरदोई जिले के माधोगंज के रुइया नरेश नरपति सिंह ने अपनी सेना के साथ ब्रिटिश सैनिकों का डटकर मुकाबला किया था और बहुत से अंग्रेजी सैनिकों को मार गिराया था। इस लड़ाई में ब्रिगेडियर की मौत भी हो गयी थी। ब्रिगेडियर की मौत के बाद लंदन में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक भी घोषित किया गया। माधवगंज में रुइया नरेश नरपत सिंह का किले सहित अंग्रेज अफसरों की कब्रे भी मौजूद हैं। हरदोई के सर्वप्रथम सांसद बुलाकी राम वर्मा हैं, जो 1952 में चुने गये थे। इसके साथ ही इसी क्षेत्र में ऐसी अनेक शख्यितों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है, इनमें क्षेत्र के गांव बांसा के मूल निवासी उन आरके सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है, जिन्होंने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष पद रहते हुए न केवल भारतीय रेल, बल्कि विदेशों में रेलवे तकनीक को क्रान्तिकारी दिशा और दशा प्रदान की थी। इसके साथ ही इस क्षेत्र में जन्में पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रामआसरे वर्मा, पूर्व विधायक कृष्ण कुमार उर्फ सतीश वर्मा, ब्रजेश वर्मा, एमएलसी शिवपाल सिंह (एसपी सिंह) के साथ ही वर्तमान विधायक अशीष कुमार आशू व एमएलसी कान्ति सिंह ने राजनीति में अपनी विशेष पहचान बनायी है। इनमें पूर्व एमएलसी एसपी सिंह व उनकी पत्नी व वर्तमान एमएलसी कान्ति सिंह की बात करें तो उन्होंने लखनऊ पब्लिक स्कूल की स्थापना व संचालन करके शिक्षा जगत में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वर्तमान में दे रहे हैं। इसी क्षेत्र के मूल निवासी आशीष कुमार व सुबोध कुमार सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा ;आईएएसद्ध के अफसर के रूप में क्रमशः मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यहां के मूल निवासी अतुल कटियार भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में चयनित होकर अरूणाचल प्रदेश में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके साथ ज्योत्सना सिंह, निधि वर्मा व सतेन्द्र विक्रम सिंह आदि ने आईआरएस अफसर के रूप में, ओमप्रकाश कन्नौजिया, प्रशान्त सिंह व स्वदेश कुमार वर्मा ने आईटीएस अफसर के रूप में, कृष्ण बहादुर वर्मा, आलोक कटियार श्रवण कुमार वर्मा ने आईएफएस अफसर व गजेन्द्र सिंह तथा रामगोपाल वर्मा ने प्रान्तीय वन सेवा के अधिकारी के रूप में, बलराम सिंह व योगेन्द्र कुमार ने पीसीएस अफसर के रूप में, आदर्श कुमार सिंह कन्नौजिया, कल्पना वर्मा, रामेन्द्र कुमार व संजय कुमार वर्मा ने न्यायायिक अफसर के रूप में, गिरीश चन्द कन्नौजिया व धमेन्द्र कुमार ने कृषि अधिकारी के रूप में, कन्हैया लाल वर्मा, बु(प्रिय सिंह व राजेश कुमार वर्मा ने शिक्षा अधिकारी के रूप में, डा. सुरेश चन्द पटेल ने आबकारी अधिकारी के रूप में, सरनाम सिंह, विवेक कुमार सिंह, विजय कुमार सिंह, पवन कुमार सिंह, नरेन्द्र कुमार, आनन्द सिंह व ओमप्रकाश वर्मा आदि ने अपने-अपने विभागों में अधिकारी के रूप में अपनी विशेष छाप छोडी है। इसी कड़ी में हरदोई के मल्लावां क्षेत्र के गांव बरहुआ के एक किसान परिवार में जन्में अमित सिंह ने पहले वाणिज्य कर अधिकारी के रूप में अपनी काबलियत का परिचय दिया और अब पीसीएस अधिकारी के रूप में बतौर अपर जिलाधिकारी के रूप में अपनी योग्यता का लोहा मनवा रहे हैं। डीएम चाहें राजीव कुमार शर्मा रहे हों, अजय कुमार पाण्डेय या सेल्वा कुमारी जयाराजन हों या वर्तमान में सीबी सिंह हों, अमित कुमार सभी के चहेते अफसर रहे हैं और ये ऐसे ही नहीं है, बल्कि ये सब उनकी ईमानदारी, काबलियत और कर्तव्यपरायणता का ही कमाल है, कि हर अफसर उनपर विश्वास करने के लिए मजबूर हो जाता है। बता दें कि अमित कुमार 2011 के पीसीएस अफसर हैं और उनकी पहली पोस्टिंग बतौर डिप्टी कलेक्टर बांदा में हुई थी। इसके बाद वे गाजीपुर, रामपुर, फिरोजाबाद, अलीगढ़ और मैनपुरी में डिप्टी कलेक्टर के रूप में तैनात रहे और 8 अगस्त 2018 को प्रोन्नति पाकर वे मुजफ्फरनगर में बतौर सिटी मजिस्ट्रेट नियुक्त हुए, इसके बाद वे यहीं एक प्रमोशन और प्राप्त करके वर्तमान में अपर जिला अधिकारी (प्रशासन) के रूप में कार्यरत हैं। जनपद में सिटी मजिस्ट्रेट से अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) का दायित्व संभालने वाले अमित सिंह ने पहले ही दिन से चुनौतियों को सहजता से स्वीकार कर लिया था। उन्होंने छह साल बाद जिला कृषि एवं औद्योगिक प्रदर्शनी (नुमाइश) का आयोजन कराने के लिए जिलाधिकारी राजीव शर्मा के द्वारा लिये गये फैसले को बतौर सिटी मजिस्ट्रेट और प्रदर्शनी समिति प्रभारी सही साबित करने का काम दिन रात मेहनत करके किया, जिससे एक कीर्तिमान के रूप में छः वर्ष बाद आयोजित हुई नुमाइश मुजफ्फरनगर के इतिहास का सबसे बड़ा इकाॅनोमी इवेंट बन गई थी।
अपने व्यवहार, कर्मठता और कामकाज से सभी का दिल जीतने वाले अमित सिंह को दयालुता और उदारता अपने माता-पिता से विरासत में मिली है। उनकी उदारता के बारे में कहा जाता है कि अगर उन्हें ये पता चल जाये कि अमुक व्यक्ति वास्तव में जरूरतमंद है, तो वे उसकी सहायता अपनी कलम से करने के साथ-साथ अपनी पाकेट से भी करने का हौसला रखते हैं। मैनपुरी में बतौर डिप्टी कलेक्टर उन्होंने अपनी तहसील के गांव जसराऊ को गोद लेकर कुपोषण के खिलाफ मुहिम छेड़ दी थी। इस गांव में अति कुपोषण का शिकार पाये गये पांच बच्चों के साथ ही उन्होंने पूरे गांव को कुपोषण से दूर करने का बीडा उठा लिया था। मुजफ्फरनगर में भी उन्होंने गांव सीमली का आंगनबाडी केन्द्र गोद लिया था और न केवल गोद लेने की फारमल्टी अदा की, बल्कि यहां पंजीकृत करीब 25 बच्चों के लिए उन्होंने अपने खर्च से प्रतिदिन दूध की व्यवस्था करायी। बच्चों के लिए केन्द्र में पंखा लगवाया और हर सप्ताह केन्द्र की माॅनीटरिंग करने का काम पूरी शिद्दत से किया है। मुजफ्फरनगर में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने शहर को हरा भरा बनाने के लिए ग्रीन सिटी अभियान चलाकर शहर की मुख्य सड़कों के डिवाईडरों पर वृक्षारोपण कराया, बड़े गमले रखवाये। इसके साथ ही राज्य में पाॅलीथिन बैन के आदेश का अनुपालन कराने के लिए जागरुकता कार्यक्रम कराये हैं। पीसीएस अधिकारी अमित सिंह का मानना है कि अगर आदमी चाहे तो कोई भी काम असम्भव नहीं है। अमित सिंह के अनुसार असम्भव शब्द उनकी डिक्शनरी में है ही नहीं।
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