बंजारा आरके राठौर एडवोकेट, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
जो लोग लगे हैं स्वार्थ में
इतिहास ना होगा उनका नामोनिशान
इतिहास बनाए जाते हैं
केवल एक विचारधारा से
तुम भी बदलो अपने को
बता तो इस दुनिया को
महान बनने के लिए
समर्पण है अति जरूरी
समाज सब जान चुका
बंद करो टांग खिंचाई का दौर
क्यों बांट रहे हैं भोले समाज
को
इतिहास माफ नहीं करेगा
ऐसे स्वार्थी भ्रष्टाचारियों को
मिट जाएगी हंसती तेरी इक दिन
मरने से पहले समाज को जगा तू
कुछ अच्छा कर जा जीवन में
याद रहेंगे तुम्हारे काम सभी
इतिहास के पन्नों में
भविष्य करेगा सत सत प्रणाम तुम्हें
प्रणाम तुम्हें.....
प्रणाम तुम्हें.....
दिल्ली
Tags
poem