डॉ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
कृष्ण कंहैया श्याम अरु, मोहन बृज गोपाल।
दीनबंधु राधारमण, दुखहारक नंदलाल।।
पर्यायवाची शब्द में, भाषा का है ज्ञान ।
शब्दों की कर साधना, कहत हैं कवि मसान।।
सरस्वती भारती व शारद।
ब्रह्मासुत ज्ञानीमुनि नारद।।१
पवनतनय कपिपति हनुमाना।
राघव रघुवर राजा रामा।।२
स्वामी पति नाथ अरू कंता।
साधू मुनि यति ज्ञानी संता।।३
विष्णुपगा गंगा सुरसरिता।
कुंजा उपवन बाग बगीचा।।४
सोम सुधाकर शशि राकेशा।
राजा भूपति भूप नरेशा।।५
वानर बंदर मर्कट कीशा।
ईश्वर भगवन प्रभु जगदीशा।।६
पुत्र तनय सुत बेटा पूता ।
कोकिल कोयल पिक परभूता।७
विष्णु चतुर्भुज हरी चक्रधर।
वारिद बादल नीरद जलधर८
गणपति गणनायक लंबोदर।
भ्राता भाई बंधु सहोदर।।९
सर तालाब सरोवर पुष्कर।
आशुतोष शिव शंभू शंकर।।१०
जहर हलाहल विष की धारा।
बैरी दुश्मन शत्रु दुखारा।।११
इंदिरा पद्मा लक्ष्मी कमला।
तटनी नदी प्रवाहिनि सरिता।।१२
पेड़ तरू द्रुम वृक्षा झाड़ा।
मठ बिहार कुटि संघअखाड़ा।।१३
पानी अंबू पय जल नीरा।
पवन हवा अरु वायु समीरा।।१४
विषधर सर्पा नाग भुजंगा।
हाथी गज करि नाग मतंगा।।१५
हिरणा मृग सुरभी सारंगा।।
घोड़ा घोटक अश्व तुरंगा।।१६
अंबुधि पयोधि नीरधि सागर।
सूरज सूर्य भानू दिवाकर।।१७
मित्र सखा सहचर अरु मीता।
घी घृत अमरत अरु नवनीता।।१८
वसन वस्त्र अंबर पट चीरा।
तोता शुक मिट्ठू अरु कीरा।।१९
वन जंगल अरण्य अरु कानन।
मुख मुखड़ा चेहरा है आनन।।२०
सिया रमा अरु जनककुमारी।
औरत नारी प्रिय घरवारी।।२१
बिजली चपला सरिता दामिनि।
रात निशा रजनी अरु यामिनि।२२
भौरा मधुकर षटपद भृंगा।
खग पक्षी द्विज विहग विहंगा।२३
मदन काम मनोज अनंगा।
श्वान कुकुर अरु शुनक कुसंगा२४
दिवा दिवस दिन वासर वारा।
पर्वत अचला शैल पहारा।२५
अमी सुधा अमरत मधु सोमा।
अंबर नभ आकाशा व्योमा।।२६
तरुणि युवती सुंदरी श्यामा।
सोना स्वर्णा कनका हेमा।।२७
विश्व जगत जग भव संसारा।
घर गृह आलय अरु आगारा।।२८
रक्तनयना हरीत कबूतर ।
चोर खनक मोषक रजनीचर।।२९
अम्मा जननी अंबा माता।
पांव चरणा पैर पग पादा।।३०
सायक बाण विशिख सर तीरा।
बुध विद्जन कोविद सुधिधीरा३१
अग्नि पावक आगा दोहन।
चक्षु आंखें नैना लोचन।।३२
रक्त लहू शोणित अरु खूना।
पुष्प सुमन गुल फूल प्रसूना।।३३
सुता कुमारी किशोरी बाला।
शिशु कुमार बालक सुतलाला।३४
दुग्धा गौरस दूधा क्षीरा।
गात कलेवर देह शरीरा।।३५
मरद पुरुष जन नर मनु मानव।
धरती भूमि वसुधा पावन।।३६
शेर केशरी सिंह वनराजा।
सुरपति इंदर देवसमाजा।।३७
दानव राक्षस दैत्य निशाचर।
नीरज पंकज जलज इंदीवर।।३८
असी तलवार खड़ग कृपाला।
आम्र आमाअमिय रसाला।।३९
दुर्गा काली पातक हरणी।
नया नौका बेड़ा तारिणी।।४०
पानी के पर्याय में, दधिजा का रख ध्यान।
बादल सागर अरु कमल, कहते हैं कवि मसान।।
दधिज का मतलब यदि अंत में द आये बादल,धि आये तो सागर और ज आये तो कमल अर्थ होते हैं। जेसे वारिद, वारिधि, वारिज आदि
23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश