शि.वा.ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ओबीसी आरक्षण को आर्थिक आधार पर करने के प्रयास में लगी है। क्रीमी लेयर में बदलाव करने की पूरी तैयारी कर ली गयी है। अब क्रीमी लेयर निर्धारण में सैलरी इनकम के साथ कृषि आय तथा अन्य सारे आय भी जुड़ेंगे। अगर ऐसा हुआ तो तृतीय श्रेणी के कर्मचारी के बच्चे भी क्रीमी लेयर से बाहर हो जाएंगे।
बता दें कि ओबीसी का 27% आरक्षण लागू हुए लगभग 27 साल हो गए, लेकिन सरकारी सेवाओं के क्लास वन और क्लास टू श्रेणी में केवल 14% ओबीसी ही पहुँच पायें हैं। कुल 52% की आबादी वाला यह समूह अभी तक केवल 21% स्थान ही सरकारी सेवाओं में पा सका है। अब अगर क्रीमी लेयर में बदलाव कर दिया जाएगा तो सरकारी सेवाओं में ओबीसी का प्रतिनिधित्व न के बराबर रह जायेगा। दरअसल सरकार चालाकी से ओबीसी आरक्षण को खत्म कर देना चाहती है।
जानकारों की मानें तो जिस दिन आरक्षण का आधार आर्थिक हो गया, उस दिन सरकारी सेवाओं की सारी सीटें EWS वाले ले जाएंगे। दलित पिछड़े पुनः गुलामी की ओर धकेल दिए जाएंगे। ओबीसी पार्लियामेंट्री कमिटी के चेयरमैन गणेश सिंह ने भी ओबीसी सांसदों से इसका विरोध करने की अपील की है। कई सांसद, विधायक भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर विरोध जता रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व उपाध्यक्ष सुधांशु कुमार ने कहा कि सभी को संगठित होकर आवाज बुलंद करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमने विरोध स्वरूप कल वर्चुअल पब्लिक मीटिंग का आह्वान किया है। आप सभी साथी इस मुहिम में जुड़कर इसे आंदोलन का स्वरूप दें।
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