अटूट बन्धन


डॉ. राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

एक गाँव मे दो मित्र रहते थे। गांव की हर समस्या का समाधान वे दोनों मिलकर करते थे। एक बार गर्मियों  के दिनों में वे दोनों मित्र तिरुपति बालाजी दर्शन करने गए। ट्रेन में एक ही बोगी में उन दोनों की सीट थी। एक स्टेशन आया एक दोस्त पानी की बोतल लेने नीचे उतरा। लेकिन नल पर बहुत भीड़ थी। उसे देर हो गई। अचानक ट्रेन ने हॉर्न बजा दिया। ट्रेन धीरे धीरे चलने लगीं। उसका ध्यान बोतल भरने में लग रहा था। होठ सूखे जा रहे थे। पिछले 4 घण्टों से पानी नहीं मिला था उसे। जब ट्रेन की ओर देखा तो दौड़ कर लपका। बोगी के लोग युवा गेट पर उसका हाथ थामने के लिए उसके दूसरे दोस्त के साथ तैयार खड़े थे। अब ट्रेन तेज चलने लगी। लोग कहने लगे अरे इसे यहीं रहने दो। तुम गिर जाओगे इसके चक्कर मे। लेकिन पहले दोस्त ने अपने दूसरे दोस्त से कहा मित्र तुम आगे आओ अभी दौड़ कर डिब्बा पकड़ लूँगा। आखिर पहला दोस्त अंदर आ गया।

पहला दोस्त चैन की सांस लेकर बोला तुम क्या समझोगे हमारा अटूट बंधन।

 

भवानीमंडी, राजस्थान

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