अपनी प्रतिभा का अंश समाज को दें विद्यार्थी (शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र के वर्ष 13, अंक संख्या-22, 31 दिसम्बर 2016 में प्रकाशित लेख का पुनः प्रकाशन)


डा.जगदीश गांधी, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


काक चेष्टा, बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च।


अल्पहारी, स्वयंसेवी, विद्यार्थी पंच लक्षणं।


अर्थात जिस प्रकार कौआ ने मटके में मनोयोगपूर्वक एक-एक कंकड़ डालकर अपनी प्यास बुझाने में सफलता प्राप्त की, बगले की तरफ केवल अपने लक्ष्य पर पूरी एकाग्रता, कुत्ते की तरह सर्तक होकर सोना, हल्का सुपाच्य भोजन करना तथा अपने कार्य स्वयं करने वाला। ये विद्यार्थी के पांच गुण हैं।
 छात्र जीवन में 10 वीं 12वीं की बोर्ड की परीक्षाओं सहित सभी परीक्षायें महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि इसमें स्वयं के उज्ज्वल भविष्य का, परिजनों-गुरूजनों, दोस्त, मित्रों का छात्र अपने ऊपर फिजूल बेमतलब दबाव-टेन्शन महसूस करते हैं, किसी भी प्रकार का दबाव, चिन्ता, हताशा अपने मन हृदय पर न आने दे। उस दबाव को आप हंसते-खेलते सकारात्मक रूप से लें। परीक्षा में अधिक प्रतिशत लेकर अच्छा परिणाम लाने के लिए एजुकेशन मोटिवेटर चाचा चैधरी हमको 12 सूत्र बता रहे हैं। कृपया मेरा सुझाव अभिभावकों तथा टीचर्स को है कि इसके थोड़े-थोड़े अंशों को अपने पारिवारिक बैठक तथा स्कूल की प्रार्थना सभा में बच्चों को बताने की कृपा करें। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपके प्रिय बच्चे इन सूत्रों को अपने विवेकमय बुद्धि से सोच-समझकर जीवन में उतार, उस अनुसार चलेंगे तो अवश्य ही अच्छे प्रतिशत अंक प्राप्त कर सफलता के शिखर पर पहुँच, छात्र अपना भविष्य उज्जवल बना सकते हैं तथा वे अपने परिवार, गुरूजनों का, स्कूल का, जिले, प्रदेश तथा देश का नाम रोशन करेंगे। 
1-सबसे महत्वपूर्ण बात है कि विद्यार्थी अपने मन, मस्तिष्क तथा हृदय पर नेगेटिव विचारों को हावी नहीं होने दे। हमेशा सकारात्मक-आशावादी विचार ही सोचे। 
2-वार्षिक परीक्षा के कम से कम तीन माह पूर्व से पिक्चर, टीवी, सिरियल या अन्य प्रोग्राम देखना बंद कर दे। हाँ सिर्फ भोजन करते वक्त केवल काॅमेडी सिरियल, डिस्कवरी, ज्योग्राफी चैनल ही देखें तथा अधिक से अधिक समय पढ़ाई पर दें। 
3-संतुलित, अंकुरित, ऋतु अनुसार स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर, स्वास्थ्य वर्धक सुपाच्य भोजन ही करें। भर पेट या ओवरलोड भोजन न करें। जहाँ तक हो सके मिठाई व गरिष्ठ भोजन से परहेज करें। सुबह जल्दी उठकर खाली पेट गर्म पानी 4 गिलास पिये। एक घण्टे बाद कोई भी चीज खाने की लें। बाजार के फास्ट फुड, चायनीज खाने से परहेज करें। 
4-कोई भी हमें क है कि पेपर हार्ड है, कठिन है, पढ़ाई नहीं हुई है आदि बातों को सरलता से लेना चाहिए एवं अफवाहों से बचे खास तौर से पेपर लीक के पीछे ना दौड़े।


5-रट्टू तोते जैसा रटना नहीं चाहिए, बल्कि बगुले जैसे ध्यानपूर्वक, ध्यानमगन होकर, एकाग्रचित होकर केवल एक बार बगैर दबाव टेंशन के पढ़ना चाहिए। 
6-पेपर शुरू होने के दो दिन पहले तक दूसरे सभी विषयों का रिवीजन पूरा कर लेना चाहिए। बाकी दो दिन, पहले पेपर का रिवीजन करना चाहिए।   
7-निड़र-निर्भयता पूर्वक, प्रसन्नचित्त मन से प्रश्नों का उत्तर लिखें। परीक्षा को हौवा समझ अधिक चिन्ता कर टेन्शन को आमन्त्रण न दे। 
8-परीक्षा हाॅल में जाने के वक्त घबराये नहीं एवं समय से 10 मिनट पूर्व पहुँचे। काँपी या नकल करने का मन हृदय में विचार भी न आने दें। निर्भिकतापूर्वक, प्रसन्नचित्त मन हृदय से सोच-समझकर उत्तर लिखें।


9-उत्तर पुस्तिका पर अपना नाम रोल नम्बर ध्यान पूर्वक सही लिखे व दुबारा जाँच ले। प्रश्न पत्र प्राप्त होने तक मन हृदय को शांत रखते हुए मन ही मन में इष्ट मंत्र का जाप करते हुए अपने ध्यान को केन्द्रित करें, एकाग्रचित रखें। 
10-मान लो की दस प्रश्नों में से 5 प्रश्नों के उत्तर लिखना अनिवार्य हैं और आपको चार के ही उत्तर आते हो तो उस समय मन में ऐसा दृढ़ विचार कर ले, कि मुझे चार प्रश्न के ही उत्तर लिखना है। जो अच्छी तरह से याद है, क्रमवार फटाफट चारों के उत्तर लिख लेने के बाद फिर एक मिनट शांत मन से बैठे रहे फिर से चारों प्रश्नों के उत्तर को पढ़ ले, कुछ गलती हो तो सुधार ले। 
11-फिर अपनी सबसे प्रिय प्रार्थना मे बोलते हुए दो मिनट शांत बैठकर 5 वें प्रश्न के बारे में विचार करें कि बाकी के 6 प्रश्नों में से कौन से प्रश्न का उत्तर लिखना है। उस प्रश्न का उत्तर मिला-जुला लिखे, मतलब अध्ययन किया हुआ एवं जनरल नाॅलेज के आधार पर तथा विचार कर सोच-समझकर लिखेंगे, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आपका उत्तर 90 प्रतिशत सही होगा। 
12-अपनी बुद्धि से उत्तर पुस्तिका के पूरे प्रश्नों का उत्तर निर्धारित समय सीमा में ही पूरा करने का प्रयास करें। 
यदि बच्चे उपरोक्त 12 सूत्रों का सच्चे हृदय से पालन कर उसे जीवनकाल आचरण में लायेंगे, तो प्रिय छात्र अवश्य ही आशा से अधिक 90 प्रतिशत या उसके अधिक नंबर लेकर अवश्य ही उत्तीर्ण होंगे।
 बगैर शंका किये आपके प्रिय छात्रों के लिए दृढ विश्वास के लिए नीचे लिखे सद्विचारों को अवश्य समझे:- 
विद्यार्थी अपनी सर्वोच्च प्रतिभा का एक अंश समाज को देने के लिए अपने को तैयार करें।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, लहरों से डरकर नैया पार नहीं होती।            बाहों की बल्लियों से ही नदी पार होती हैं।                                                          राही अडिग विश्वास लिए डग भरता हैं तो क्षितीज में दरार होती हैं। 


प्रिय छात्र यह सूत्र वाक्य हमेशा याद रखे- व्यस्त रहे, मस्त रहे, स्वस्थ्य रहे, 
प्रसन्न रहे- हमेशा हंसमुख रहें।


बच्चों पढ़ना है सुखदायी, मिले इसी से तुम्हें बढ़ाई।
पहले थोड़ा कष्ट उठाओ, फिर सब दिन आनंद उठाओ।।
  


संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ


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