(प्रदीप कुमार सिंह ), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल एसेम्बली ने सन् 1972 को सदस्य देशों की सहमति से 24 अक्टूबर को विश्व में होने वाले विकास की जानकारी के दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व भर में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को शक्ति प्रदान करने की आवश्यकता, विकास की समस्याओं तथा उसके समाधान पर विश्ववासियों के विशेषकर युवा पीढ़ी के विचारों को जानना है। संयुक्त राष्ट्र संघ, उसकी तमाम संस्थाएं, गैर-सरकारी संगठन, सिविल सोसायटी और राष्ट्रीय सरकारें प्रतिवर्ष 24 अक्टूबर को विश्व में होने वाले विकास की जानकारी दिवस का आयोजन करती हैं।
इस दिवस को संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। विकास का संदेश दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने शिक्षा, कला, साहित्य, सिनेमा, संगीत और खेल जगत की विश्वविख्यात हस्तियों को अपना शांति दूत भी नियुक्त कर रखा है। विश्व में होने वाले विकास की जानकारी के लिए जनजागरण होने से सारे विश्व में एकता, विकास, उत्साह, उल्लास तथा ऊर्जा का संचार हो रहा है! तो वही दूसरी तरफ विनाश के वातावरण में सारा विश्व निराशा, डर, हताशा तथा असुरक्षा की भावना से घिरता जा रहा है। विश्व भर में न्यूज तथा भोगवादी मनोरंजन से भरे हजारों की संख्या में चैनलों की बाढ़ भी मानव जाति मेें असुरक्षा की भावना को अत्यधिक बढ़ा रहे हैं। विकास की दौड़ में मनुष्य प्रकृति से दूर होता जा रहा है। इस कारण से वह अनेक शारीरिक तथा मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हो रहा है।
इंटरनेट विश्व में जैसा क्रांतिकारी परिवर्तन करा रहा है वैसा किसी भी दूसरी तकनीक ने अभी तक नहीं किया है। इंटरनेट दूर बैठे उपभोक्ताओं के मध्य अत्यन्त ही त्वरित संवाद का माध्यम है। यह किसी भी सूचना को विश्व स्तर पर प्रकाशित करने का जरिया है। इंटरनेट सूचना का अपार सागर है। आज अरबों लोग विभिन्न कार्यों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। आज दुनिया के किसी भी भाग या क्षेत्र से इंटरनेट के द्वारा जुड़ना संभव है।
इंटरनेट द्वारा हम विश्व के किसी भी देश में किसी कंपनी, संस्था या व्यक्ति से तुरंत संपर्क स्थापित कर सकते हैं। ई-मेल या इलेक्ट्राॅनिक मेल अभी तक का सबसे लोकप्रिय उपयोग है, जिसने संचार के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। अन्य माध्यमों की तुलना में सस्ता, तेज रफ्तार और अधिक सुविधाजनक होने के कारण ई-मेल ने दुनिया भर के कार्यालयों और घरों में अपनी जगह बना ली है। सारे विश्व में आज विज्ञान, अर्थ व्यवस्था, प्रशासन, न्यायिक, मीडिया, राजनीति, अन्तरिक्ष, खेल, उद्योग, प्रबन्धन, कृषि, भूगर्भ विज्ञान, समाज सेवा, आध्यात्म, शिक्षा, चिकित्सा, तकनीकी, बैंकिग, सुरक्षा आदि सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों का बड़े ही बेहतर तथा योजनाबद्ध ढंग से विकास हो रहा है। अति आधुनिक तकनीक ने इंसान की भागम-दौड़ को कम किया है। इस बचे हुए समय का हमें विवेकी ढंग से मानव जाति के हित में भरपूर उपयोग करना चाहिए।
नई पीढ़ी में इंटरनेट चैट या चर्चा व्यापक रूप से लोकप्रिय है। यह एक बहुपयोगी गतिविधि है, जिसके द्वारा भौगोलिक रूप से दूर-दराज स्थानों पर बैठे व्यक्ति एक ही चैट सर्वर पर लाॅग करके 'की-बोर्ड' के जरिये एक-दूसरे से चर्चा कर सकते हैं। सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों ने तो दुनिया में धूम ही मचा दी है। आर्थिक गतिविधियों को संचालित करने में नेट की बढ़ती लोकप्रियता का एक प्रमाण सैकड़ों की संख्या में डाॅट काॅम, डाॅट ओर्ग, डाॅट इंफो इत्यादि कम्पनियों का उदय हैं। ई-मीडिया में इंटरनेट पर शिक्षा के साथ मनोरंजन को जोड़कर शिक्षारंजन प्रदान किया जाता है। आज अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं के आवेदन-पत्र से लेकर रिजल्ट तक की सभी जानकारी इंटरनेट पर ही उपलब्ध होती है। रेल-यातायात, विमान-यातायात के टिकट से लेकर बैंकिंग सुविधाओं तक आज सभी कुछ इंटरनेट के माध्यम से ही संपन्न हो रहा है।
संक्षेप में, इंटरनेट ने मानव के कार्यों को अद्भुत गति प्रदान की है। भविष्य में, इंटरनेट आज के आधार पर कही अधिक प्रगतिशाली सेवायें प्रदान करने वाला होगा। गूगल के सेवा भी हमारी जानकारियों तथा अनुभव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यूट्यूब पर हम अपने मनचाहे विषय के वीडियो चयन करके देख-सुन सकते हंैं।
सभी विषयों के इनसाइक्लोपीडिया, सभी देशों के मानचित्र, संस्कृति, इतिहास, साहित्य और जो कुछ भी हम जानना चाहते हैं, उसके बारे में तमाम सूचना इंटरनेट के जरिये उपलब्ध हैं। सूचना तथा तकनीकी विकास ने वसुधा को ग्लोबल विलेज का स्वरूप प्रदान किया है। गुफाओं से शुरू हुई मानव सभ्यता की विकास यात्रा का अगला कदम तथा अन्तिम लक्ष्य विश्व की एक न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था (विश्व संसद) बनाकर आध्यात्मिक साम्राज्य स्थापित करना है। अब ग्लोबल विलेज से वसुधा को कुटुम्ब बनाने का समय आ गया है।
21वीं सदी ने सार्वभौमिक 'जय जगत' अर्थात 'किसी एक देश की नहीं वरन् अब सारे विश्व की जय हो' के सर्वमान्य नारे के साकार होने के संसार की चारों दिशाओं से गंूज स्पष्ट सुनाई दे रही है। सारी दुनिया के प्रत्येक वोटर के उगंलियों के नीचे आज कम्प्यूटर के छोटे से माउस के रूप में मानव जाति को विश्व एकता की मंजिल तक ले जाने की अपार शक्ति दी है। भारतीय मीडिया विश्व के प्रत्येक वोटर को विश्वात्मा बनाने का प्रशिक्षण देने के लिए विश्व परिवर्तन मिशन के संकल्प को जन-जन तक पहुंचाने की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
आज जहाँ एक ओर मनुष्य प्रकृति, संसाधनों तथा विज्ञान का मानव जाति की भलाई के लिए उपयोग करके विश्व विकास की चरम ऊँचाइयों को छू रहा है। वही दूसरी ओर मनुष्य ने प्रकृति, संसाधनों तथा विज्ञान का अविवेकी ढंग से दुरूपयोग करके मानव जाति को विनाश की कगार पर ला खड़ा किया है। धरती पर पलने वाले मानव जीवन सहित समस्त जीवों के ऊपर अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, तृतीय विश्व की आशंका, परमाणु शस्त्र बनाने की होड़, स्टार वाॅर, टेªड वाॅर, करेन्सी वाॅर, ग्लोबल वार्मिंग, ओजन परत का क्षरण, प्रौद्योगिकी का दुरूपयोग, तेल संकट, आर्थिक मंदी, अत्याधिक गरीबी, शरणार्थी समस्या अत्यधिक जनसंख्या, सुपरवोल्केनो, उल्का प्रभाव, हिम युग, वृहत सुनामी, आकाल, भूकंप, मरुस्थलीकरण, प्रकृति का अनियंत्रित तथा अत्यधिक उपभोग, सूखा, बाढ़, जल संकट, वनों की कटाई आदि का सदैव संकट मंडराता रहता है। वोटरशिप तथा शिक्षा के दो शक्तिशाली हथियारों से हम इन संकटों को अवश्य परास्त करेंगे।
हमारे जीवन का मंत्र होना चाहिए कि वोटरशिपयुक्त, विकासशील तथा प्रगतिशील जीवन न केवल हमारा जन्म सिद्ध अधिकार ही है वरन् हमारा कर्तव्य भी है। सूचना क्रान्ति के इस युग में व्यापक विश्व समाज को विश्व एकता के विचारों से जोड़ने के लिए शिक्षा, मीडिया तथा समाज की भूमिका पहले की अपेक्षा और अधिक बढ़ गयी है। विश्व के दो अरब पचास करोड़ से अधिक बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए विश्व संसद, विश्व सरकार तथा विश्व न्यायालय के गठन के अभियान में शिक्षा, मीडिया तथा समाज की सक्रिय भूमिका निभाने के लिए मानव जाति सदैव ऋणी रहेगी।
विश्वात्मा भरत गांधी के मार्गदर्शन में विश्व परिवर्तन मिशन ने पहले चरण में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका के वोटरों को एकजुट करके दक्षिण एशियाई सरकार के गठन करके वोटरशिप की धनराशि बढ़ाने का अभियान जोरदार ढंग से भारत में शुरू किया है। इस अभियान का नारा है दक्षिण एशियाई सरकार बनाओ, वोटरशिप की धनराशि बढ़ाओ। दक्षिण एशियाई सरकार का गठन होने से प्रत्येक वोटर के हिस्से की छः हजार रूपये प्रतिमाह की धनराशि बढ़कर दौगुनी अर्थात बाहर हजार रूपये प्रतिमाह हो जायेगी। ऐसा इसलिए सम्भव होगा क्योंकि इन देशों के बीच दक्षिण एशियाई सरकार के गठन की सहमति होने से सुरक्षा पर खर्च की जाने वाली धनराशि को बचाया जा सकेगा तथा उस धनराशि को प्रत्येक वोटर को वोटरशिप के नाम पर बंटाना सम्भव हो जायेगा।
दक्षिण एशियाई सरकार के गठन से इन देशों के बीच युद्ध, डर, असुरक्षा तथा हिंसा समाप्त होने से व्यापक स्तर पर शान्ति आयेगी। आगे मिशन का पूरा विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र संघ को शक्ति प्रदान करके वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था (विश्व संसद), विश्व सरकार तथा विश्व न्यायालय के गठन का मार्ग प्रशस्त होगा। इसके अन्तर्गत विश्व सरकार का गठन होने से युद्ध की तैयारी में विश्व के सभी देशों द्वारा की जा रही अपार धनराशि को बचाया जा सकेगा। भावी विश्व सरकार अपने प्रत्येक विश्ववासी वोटर के खाते में साठ हजार रूपये प्रतिमाह डालकर एक नया इतिहास रचेगी। तब सही मायने में धरती में स्वर्ग का अवतरण अर्थात आध्यात्मिक साम्राज्य का सपना साकार होगा।
बी-901, आशीर्वाद, उद्यान-2, एल्डिको, रायबरेली रोड, लखनऊ-226025