असम प्रांतीय बैंक कर्मचारी संघ ने की पूरे दिन हड़ताल

मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। असम प्रांतीय बैंक कर्मचारी संघ कछार जिला समिति के सदस्यों ने केंद्र सरकार की जनविरोधी आर्थिक नीतियों और मज़दूर-विरोधी श्रम सुधारों के ख़िलाफ़ सिलचर में एक दिवसीय हड़ताल की। ​​हड़ताल की मांगों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों को और मज़बूत करना, बैंकों, एलआईसी और पीएसजीआई में निजीकरण और विनिवेश रोकना, सामान्य बीमा कंपनियों का एक संगठन में विलय करना, आउटसोर्सिंग और संविदात्मक रोज़गार बंद करना, पिछड़े श्रम कानूनों को लागू न करना आदि शामिल थे। कछार ज़िले के निजी बैंक कर्मचारी संगठनों एपीबीईए, एआईबीओए, बीईएफ जीडीआईईए, एनईआरजीआईईए के कर्मचारियों ने नारे लगाकर माहौल को हिला दिया। उन्होंने कहा कि बैंक यूनियनें बढ़ती बेरोज़गारी, घटते रोज़गार सृजन और स्थायी पदों के बजाय संविदात्मक और स्थायी रोज़गार के चलन पर भी गंभीर चिंता व्यक्त कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के श्रम सुधारों ने श्रमिकों को महत्वपूर्ण सुरक्षा से वंचित कर दिया है, लंबे समय तक काम करने की अनुमति दी है, यूनियन के अधिकारों का दमन किया है और श्रमिक की परिभाषा को सीमित कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोग श्रम लाभों से वंचित रह गए हैं।

इस अवसर पर पंजाब नेशनल बैंक की सिलचर शाखा के देवदत्त विश्वास, बैंक ऑफ बड़ौदा की सिलचर शाखा के सुरोज बनिक, केनरा बैंक की सिलचर शाखा के रत्नराज बोस, यूनियन बैंक की सिलचर शाखा के हिलोल डे, बैंक ऑफ इंडिया की सिलचर शाखा के पार्थ चौधरी, यूनियन बैंक की सिलचर शाखा के प्रणय दत्त गुप्ता आदि उपस्थित थे।

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