पं.दुर्गा प्रसाद शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
पंथ बहुत संसार महँ ,धर्म है केवल एक ।
परहित सरिस समाज महँ ,धर्म न कोऊ नेक ।।
धर्म गुणों की खान है , ध्वज है देश की आन ।
धर्म ध्वजा धारण करें तब हो जग कल्यान।।
किसी धरम का मरम न जाना,
आपुहि जे नर नहिं पहचाना ..1
आपु एक अविनश्वर प्राणी ,
वेद पुराण ग्रंथ की वाणी ..2
आतम जदपि अमर अविनाशी ,
नीरव निरविकार सुख राशी ..3
तदपि जनम जहँ पर वह पाती ,
वही धरम वह है अपनाती ..4
राम लाल पितु कमला माता ,
तब वह हिंदू है कहलाता ..5
मुसलमान तबहीं बन जाता ,
असलम रहमत के घर आता ..6
श्वेत दिगंबर मुनिजन गावे ,
जिन पूजे ते जैन कहावे ..7
समय पाई सब लेत बिदाई ,
हिंदू , मुस्लिम , सिख , ईसाई ..8
पुनर्जन्म गहि गहि पुनि आवे ,
भिन्न भिन्न धर्मन सिर नावे ..9
ऐसोइ चक्र चले दिनु राती ,
जीव पालि धर्मन बहु भाँती .10
प्रात काल उठिकरिअसनाना
पूरब दिसिमुख धरहि जे ध्याना
गुरु गणपति को शीश नवावे ,
राधा माधव के गुण गावे ..12
अपलक मूरत दरसन पावे ,
नयन मूँदि कोउ ध्यान लगावे..13
शिखा जनेऊ तिलक सजावे ,
पीत वसन मनहिं मन भावे ..14
सत्य अहिंसा व्रत अपनावे ,
सत्य सनातन धर्म कहावे ..15
खुद को जानि खुदा बन जावे ,
सोsहम सोई संदेस सुनावे ..16
अल्ला अकबर के दीवाने ,
एक शमा के सब परवाने .17
दिन पच बार अजानहिं जाने ,
ऊँच-नीच कोऊ नहिं माने .18
बुत परि हरि पैगंबर ध्यावे ,
वही धर्म इस्लाम कहावे ..19
ईश्वर अल्ला एक है भाई ,
गाँधी ने यह बात बताई ..20
राम बिना रमजान ना होवे ,
बिना अली दिवाली न सोहे ..21
गुरवाणी अंतर महँ धारे ,
वाहे गुरु दा वचन उचारे ..22
कंघी केस कड़ा किरपाना ,
कच्छा गुरु सिख की पहचाना..23
नानक ईसा बुध महवीरा ,
एक रूप सब विविध सरीरा..24
सारनाथ गिरनार ओ काशी ,
मक्का अमरनाथ अविनाशी ..25
मंदिर मस्जिद चर्च जिनालय ,
गुरुद्वारा पावन धर्मालय .26
सबहिं ठौर इक तेज बिराजे
सत्य प्रेम ,तप ,सेवा साजे.27.
रोजा ,पर्यूषण उपवासा ,
स्वस्थ दीर्घ जीवन की आसा ..28
पंथ महंत ग्रंथहीं पूजा ,
ऐहि सम रिपु धर्मन नहिं दूजा..29
पंथ मनहु लघु कूपहिं नाना ,
धरम तु सागर सिंधु समाना ..30
धरती माँ यह कितनी प्यारी ,
देस देस में है छबि न्यारी ..31
ऊँचे पर्वत कहुँ कहुँ झीलें ,
गहरे सागर कहुँ कहुँ टीले ..32
आम धान गेहूँ की बाली ,
जित देखहुँ तित है हरियाली ..33
अमिय नीर बनकर जहँ बहता ,
देव मनुज बनकर यहँ रहता ..34
यही धरा हम सब की माता ,
बोलो , फिर हम में क्या नाता..35
सबके खून की एक ही लाली ,
चमड़ी गोरी हो या काली ..36
आन बान शानहु का ताना ,
केसरिया हिंदू का बाना ..37
हरा रंग इस्लाम को भावे ,
जाते पर्यावरण सुहावे ..38
श्वेत बरन सिख हिय हरसावे ,
नील चक्र तेहि बिच चकरावे ..39
धर्म तिरंगे में सब भीजे ,
बोलो भारत माता की जै ..40
मंदिर महँ जहँ शंख बजे मस्जिद होय अजान ।
सबद सुनावे गुरुद्वारे महँ , म्हारो हिंदुस्तान।।
नलखेड़ा, आगर (मालवा) मध्यप्रदेश