नेकी की राह

योगाचार्य चौथमल जैन , शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

दुनियां की डगर पर 
फूलों से पटे सेंकड़ों रास्ते हैं  जिनमें हूजूम की तरह 
लोग दौड़े चले जा रहे हैं 
बड़े-बड़े लोग मैं बोनासा
 इनके बीच चला तो
 पैरों तले कुचल जाऊंगा असमंजस में हूं
कौनसी डगर चुनु 
कोई छल का रास्ता है 
कोई कपट का 
कोई राहजनी की डगर है 
तो कोई बेईमानी की 
कहीं धोखा, फरेब, घृणा, अपमान की राह है
 तो कहीं अराजक,ठगी, स्वार्थ की
 सभी मार्ग फूलों से पटे हैं 
आराम है , छांह है 
मगर हर तरफ भीड़ है 
कहीं जगह दिखाई नहीं देती
इन सभी रास्तों के बीच कांटों से पटी
 इक पगडंडी जाती दिखाई दे रही है 
जिस पर इक्का दुक्का लोग
कांटे चुनते हुए 
धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं 
मैं भी इसी मार्ग पर 
कांटे हटाते हुए आगे बढ़ने लगा                
शायद यही राह मुझे 
अपनी मंजिल तक पहुंचाएगी 
उसी राह में एक छोटा सा बोर्ड लगा था 
जिस पर लिखा था "नेकी की राह"
आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

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