मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। बराक घाटी के लोगों के लिए यह बेहद चिंताजनक खबर है। भांगर-कलेन मार्ग पर हारंग नदी पर बना पुल अब सीधे तौर पर सिंडिकेट की हिंसा का शिकार हो गया है। जहां सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार 40 टन से अधिक वजन वाले वाहनों के पार करने पर स्पष्ट प्रतिबंध था, वहीं 70 से 80 टन वजन वाले सैकड़ों ओवरलोडेड लॉरियां अवैध रूप रूप से चल रही थी। जिसका अंत तक डर था, वही हुआ- आज आधी रात को। सिलचर-कलेन मार्ग पर सबसे महत्वपूर्ण संपर्क बिंदुओं में से एक हारंग पुल उस समय ढह गया, जब दो ओवरलोडेड लॉरियां एक साथ पार कर रही थीं। इस दुर्घटना से पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई और परिवहन व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार चूना पत्थर, सीमेंट और कोयले से लदे सौ से अधिक लॉरियां हर रात इस पुल को पार करती थीं, जिसके लिए सिंडिकेट के सदस्य जिम्मेदार है। मीडिया में कई बार रिपोर्ट प्रकाशित होने के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। इस भीषण हादसे के बाद आम लोगों में गुस्सा है। सवाल उठता है कि इस गिरोह के मुख्य सरगना कौन हैं? उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई? कितने नुकसान के बाद प्रशासन पीछे हटेगा? फिलहाल पुल के दोनों तरफ यातायात पूरी तरह बंद है। हालांकि वैकल्पिक मार्ग से यातायात को डायवर्ट करने का प्रयास किया गया है, लेकिन यह रास्ता बेहद संकरा, जोखिम भरा और बेहद खराब है। स्थानीय लोगों ने मामले की त्वरित जांच और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की है। एक महत्वपूर्ण पुल कुप्रबंधन का शिकार है। यह न केवल एक ढांचे का ढहना है, बल्कि प्रशासन पर से भरोसे का टूटना भी है। अब देखना यह है कि इस हादसे के बाद प्रशासन जागता है या नहीं।
बता दें कि सिलचर में भांगर-कलेन मार्ग पर हारंग नदी पर बना पुल ढह गया जिससे जनता के साथ साथ यात्री एवं वाहनो को वैकल्पिक मार्ग से जोखिम लेकर भेजा जा रहा है।