शि.वा.ब्यूरो, खतौली। डाक विभाग चाहे कितने भी दावे कर ले, लेकिन उसकी कार्यशैली अभी भी बाबा आदम के जमाने जैसी ही है। इसका खुलासा उस समय हुआ, जब उत्तर प्रदेश के इटावा स्थित भरथना उपडाकघर से 22 मई को बुक कराया गया ई-मनीऑर्डर यहां तीन बार उपडाकघर के चक्कर काटने व मामले की शिकायत करने की चेतावनी के बाद भी 02 जून को बामुश्किल मिल सका।
हुआ यूं कि के उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद स्थित भरथना उप डाकघर से एक ई-मनीऑर्डर 22 मई को यूपी के जनपद मुजफ्फरनगर स्थित खतौली के लिए बुक कराया गया था, जिसकी सूचना ई-मनीऑर्डर भेजने वाले ने उसे प्राप्त करने वाले अपने मित्र को इसकी सूचना दे दी। इसके बाद ई-मनीऑर्डर प्राप्त करने वाले को तीन बार डाकघर के चक्कर काटने के बाद 12 दिन बाद 02 जून को उक्त ई-मनीऑर्डर डाकघर जाकर ही प्राप्त करना पड़ा। इससे पूर्व उक्त ई-मनीऑर्डर वितरित करने के लिए पोस्टमैन की ऐवज में एक प्राइवेट आदमी 31 मई को ई-मनीऑर्डर के पते पर गया था, लेकिन लाभार्थी के न मिलने पर लौट आया था।
बता दें कि यहां उपडाकघर में कार्यरत कर्मचारियों ने अपना काम कराने के लिए प्राइवेट आदमियों को रख रखा है और ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी विभागीय अफसरों को पता नहीं है। ये सब गोरखधंधा अफसरों की नाक के नीचे बेरोक-टोक चल रहा है। विभागीय सूत्रों की माने तो ये सब अफसरों की मिली भगत से ही हो रहा है, क्योंकि मण्डलीय उप निरीक्षक का कार्यालय भी उपडाकघर की बिल्डिंग में स्थित है। उनका मानना है कि ऐसा हो नहीं सकता कि किसी को इस गोरखधंधे की खबर नहीं हो और अगर नहीं है तो ये दुनिया का आठवां अजूबा हो सकता है।