बाजारों में रंगो और पिचकारियों से सराबोर हुई दुकानें
गौरव सिंघल, देवबंद। होली एक ऐसा लोकपर्व है, जो भारतीय संस्कृति के रचे-बसे बंधुत्व के संदेश को न केवल रंगों के माध्यम से उकेरता है, बल्कि उसी भावना को रूपायित भी करता है। होली का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है जो कि लोगों में ऊंच-नीच और छोटे-बडे के भेद को भुलाकर सबको एक रंग में रंगने का अवसर जुटाता है। ऐतिहासिक एवं प्रसिद्ध नगर देवबंद मुस्लिम बहुल होते हुए भी यहां होली का पर्व बडे धूम-धाम, एकता, श्रद्धा एवं आपसी भाइचारे के साथ मनाया जाता है। देवबंद के शिक्षक मोहित आनंद एवं व्यापारी गौरव सिंघल  का कहना है कि दुल्हैंड़ी के अवसर पर अबीर, गुलाल एवं अन्य रंगो से लोग रंग खेलते है। नगर के युवा धमाल मचाते हुए नगर के विभिन्न रास्तों से एक- दूसरे को गुलाल और रंग लगाते हुए मित्तरसैन चौक से जरूर गुजरते है। जहां उन पर घरों की छतों से रंगों की बारिश की जाती हैं। देवबंद नगर के रेलवे स्टेशन, शास्त्री चौक, नेचलगढ़, छिंपीवाड़ा, कायस्थवाड़ा, बाल्मीकि बस्ती और जनकपुरी में भी जमकर होली खेली जाती है। रंग खेलने सभी नगरवासी उक्त सभी स्थानों से गुजरते हुए एक-दूसरें को गुलाल लगाकर होली मिलते हैं। रंग खेलने वाले युवा और नगरवासी नगर के किसी भी कोने के क्यों ही न हो वह एमबीडी चौक, मेनबाजार, हनुमान चौक और मित्तरसैन चौक, हलवाई हट्टा, छिंपीवाड़ा होते हुए नगर के अन्य स्थानों पर जाकर होली का मजा जरूर लेते हैं। 

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