ग्यारह बच्चे ( लघुकथा)
मदन सुमित्रा सिंघल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
छगन सिंह अपनी पत्नी जसमिन के साथ खेतों में काम कर रहे थे कि गर्भवती पत्नी ने बताया कि मेरे पेट में दर्द है तो छगन बोला मुझे जुताई करनी है इसलिए तू इस जांटी के नीचे सो जा जल्दी ही चलेंगे। खेत में टापी नहीं थी तो जसमिन एक बोरे पर सो गयी निंद आ गयी तो अचानक एक सांप ने डस लिया, लेकिन दर्द से कहराती रही लेकिन छगन टीबे के परली तरफ खेत जो रहा था तो आवाज नहीं सुन पाया जब आया तो मूंह में झाग देखकर समझ गया झटाझट गाडे पर सुलाकर सीधा घर की बजाय आकतङी शहर चला गया, वहाँ डाक्टर कैलाश चंद्र ने कहा कि जहर शरीर में फैल गया तूरंत जापा कराना होगा नहीं तो जसमिन से पहले बच्चा मर जायेगा। छगन ने हां करदी। ओपरेशन से जसमिन मर गयी, लेकिन लङका हुआ लेकिन सारे शरीर में जहर फैलने के कारण इलाज शुरू किया। दोनों पक्षों ने वही अंतिम संस्कार किया। जब शमसान में गये तो देखा कि एक अधैङ उम्र का आदमी प्रहलाद का भी अंतिम संस्कार किया जा रहा था जीप एक्सीडेंट में ग्यारसी तो बच गयी। दोनों परिवार सजातीय होने के कारण आपस में सहयोग किया दोनों दूर्घटनाओं से उस क्षेत्र में मातम छा गया। 
एक दिन दोनों परिवारों ने पंचायतों के जरिये दोनों की शादी करवा दी। दोनों को एक साथ ग्यारह बच्चे मिल गये। अब छगन सिंह एवं ग्यारसी अपने ग्यारह बच्चों के साथ आम सहमति से नया जीवन जीने लगे। दो विधवा एवं विधुर की शादी करवाने के लिए जिला प्रशासन ने आकर सु कार्य के लिए शुभकामनाएं दी दोनों परिवारों एवं दोनों गांवों में हर्ष छा गया।
पत्रकार एवं साहित्यकार शिलचर, असम
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