मदन सुमित्रा सिंघल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
हर माँ बाप अपनी औलाद को विशेषकर बेटियों को एक देवी की तरह सम्मान के साथ लालन पालन करने के अलावा उसकी हर इच्छा के लिए एच्छिक पढाई एवं करियर के लिए भी यथाशक्ति कोशिश करके अपनी संचित धनराशि खर्च करके सफल एवं पुरुष के समकक्ष बनाते हैं, लेकिन जब शादी की बात आती है तो कई बार टकराहट इसलिए होती है कि जात-बिरादरी एवं अन्य कारणों से संभव होने से अंतोगत्वा सहमति से सामाजिक मान्यता अक्सर दे दी जाती है।
माँ-बाप के सामने एक तथाकथित पसंदीदा युवक कोई अहमियत नहीं रखता, फिर भी माँ बाप समझोता करने के लिए तैयार इसलिए हो जाते हैं कि लङका समान उम्र एक दम चरित्र वान योग्य एवं अन्य मापदंडों पर खरा उतरता है। जो युवक दागी बदनाम कलंकित ना हो एवं चरित्र वान तो जाति धर्म के बंधन से माँ बाप उपर उठकर आखिर कार मान जाते हैं। जो बचपन से बदमाश चरित्र हीन पहले से विवाहित तलाकशुदा तथा अपनी उम्र से काफी बङा हो तो वो सुंदर योग्य एवं लोकप्रिय एवं उच्च शिक्षित युवती को अपने जाल में फंसाने अपनी दास्तान सुनाकर ब्लेकमैल करने, तांत्रिकों द्वारा जादू टोना तथा अन्य टोटकों से अपने जाल में फंसाकर उसे शादी के लिए मजबूर कर देता है, जो शरीफ एवं धर्मपरायण माँ बाप खानदान तथा अपने क्षेत्र में लोकप्रियता अपना संपन्न एवं खुशहाल जीवन बरबाद करने के लिए युवती मकङजाल में फंस जाती है। यह लव जिहाद ही होता है।
माँ-बाप के सामने एक तथाकथित पसंदीदा युवक कोई अहमियत नहीं रखता, फिर भी माँ बाप समझोता करने के लिए तैयार इसलिए हो जाते हैं कि लङका समान उम्र एक दम चरित्र वान योग्य एवं अन्य मापदंडों पर खरा उतरता है। जो युवक दागी बदनाम कलंकित ना हो एवं चरित्र वान तो जाति धर्म के बंधन से माँ बाप उपर उठकर आखिर कार मान जाते हैं। जो बचपन से बदमाश चरित्र हीन पहले से विवाहित तलाकशुदा तथा अपनी उम्र से काफी बङा हो तो वो सुंदर योग्य एवं लोकप्रिय एवं उच्च शिक्षित युवती को अपने जाल में फंसाने अपनी दास्तान सुनाकर ब्लेकमैल करने, तांत्रिकों द्वारा जादू टोना तथा अन्य टोटकों से अपने जाल में फंसाकर उसे शादी के लिए मजबूर कर देता है, जो शरीफ एवं धर्मपरायण माँ बाप खानदान तथा अपने क्षेत्र में लोकप्रियता अपना संपन्न एवं खुशहाल जीवन बरबाद करने के लिए युवती मकङजाल में फंस जाती है। यह लव जिहाद ही होता है।
पढी-लिखी संस्कारी धर्मपरायण एवं बुद्धि मान युवती को स्वयं समीक्षा करने के साथ साथ उचित सोच से निजात पानी चाहिए। अपना जीवन नष्ट करने सबकी प्रतिष्ठा खत्म करने के अलावा अन्य पहलुओं पर विचार करना चाहिए। इतिहास गवाह है कि बेटियों ने मांबाप परिवार समाज एवं देश का मान सम्मान बढाया है, ऐसे बहुत ही कम उदाहरण है कि बेटियों ने गलत कदम उठाकर सबको दुविधा में डालकर मुर्खता एवं बेवकुफी से मिट्टी में मिला दिया हो।
पत्रकार एवं साहित्यकार शिलचर, असम
पत्रकार एवं साहित्यकार शिलचर, असम