महापुरुष जयंती चालीसा
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
महपुरुषों को जानिए, भारत देश महान।
पुण्य जनम सुमिरण करें, राखें तारिख ध्यान।।
जनवरी एक बड़ सुखदाई ।
नये साल का स्वागत भाई।।1
जनम विवेका बारह आता।
युवा दिवस सब देश मनाता।।2
चौदह मकर संक्राति आये।
तिलगुड़ मीठा घर घर खायें।। 3
तेइस को नेताजी आते।
चौबिस बेटी दिवस मनाते।।4
छब्बिस को गणतंत्र मनाओ।
देश प्रेम झंडा फहराओ।।5
तीसा को जयशंकर आते।
शहीद दिवस पे मौन कराते।।6
दयानंद फर बारह आये।
आर्य समाजा नींव धराये।।7
इक्किस को है जनम निराला।
पूजे शारद बालक शाला।।8
विज्ञाना अट्ठाइस आई।
करे प्रयोगा पा सच्चाई।।9
आठ मार्च महिला दिन भाई।
मातृ शक्ति भी जग में छाई।।10
तेईस मार्च शहीद कहाई।
भगत राज सुख फंद चढ़ाई।।11
छब्बिस को महदेवी आती।
विरह प्रेम के गीत सुनाती।।12
अप्रेल चौदह भीमा आये।
मानवता का पाठ पढ़ाये।।13
एक मई मजदूर मनाते।
तीन मई को प्रेस कहाते।14
नौ मई को राणा जी आते।
पंत बीस को जनम मनाये।।15
सात मई रवि गुरुवर आते।
अहिल्या को इकतिस मनाते।।16
योग दिवस दो जून  कहाये।
पर्यावरण पांच को आये।।17
पुण्य अठारह झांसी रानी।
नौ को बिरसा पुण्य कहानी।।18
चार जुलाई पुण्य विवेका।
तेइस शेखर चन्द विशेषा।।19
प्रेमचंद इकतिस को आये।
उपन्यास सम्राट कहाये।।20
तीन अगस्ता मैथिल भाई।
राष्ट्र कवि की उपमा पाई।।21
तुलसी भी इस महिना आते।
रामचरित सी कथा सुनाते।।22
पंद्रह स्वतंत्र दिवस मनाते।
बंटे मिठाई गीत सुनाते।।23
सोलह तिथि को अटल बिदाई।।
साहित्य  राजनीति  गहराई।।24
तीस अगस्त खेल मनाते।
ध्यानचंद हाकी गुण गाते।।25
पांच सितंबर राधा आते।
बच्चे शिक्षक दिवस मनाते।।26
ग्यारह विवेकानंद विचारी।
महदेवी भी स्वर्ग सिधारी।।27
चौदह हिन्दी दिवस मनाते।
निबंध कहानी चित्र बनाते।।28
पच्चिस को भये दीनदयाला।
अंत्योदय का सोच निराला।।29
अट्ठाइस को भगत निराले।
देश भक्त साहस मतवाले।।30
दो अक्टू को गांधी लाला।
पंद्रह को अब्दुल कलामा।।31
इकतिस इन्दिरा स्वर्ग सिधाई।
पटेल वल्लभ जनम मनाई।।32
एक नवम्बर मध्यप्रदेशा।
भारत का दिल राज विशेषा।।33
चौदह बालक दिवस मनाते।
जन्में नेहरु चाचा भाते।।34
उन्निस इंदिरा झांसी रानी।
दोनों की है अकथ कहानी।।35
छब्बिस को संविधान मनाते।
नियमावलि का पाठ पढ़ाते।।36
तीन दिसम दिव्यांग मनाये।
राजेन्द महा जनम कहाये।।37
बाइस को रामानुज आई।
गणित दिवस मनाओ भाई।।38
पच्चिस दिस को अटल बिहारी।
क्रिसमस डे मनता जग भारी।।39
इकतिस अंतिम साल कहाई।
केलेंडर अब बदलो भाई।।40
बच्चों के हित में लिखा, सब तिथियों का ज्ञान।
भूल चूक सुधार लेय, कहत हैं कवि मसान।।
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