आरटीआई कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश जन सूचना आयोग का दरवाज़ा खटखटाया

शि.वा.ब्यूरो, लखनऊ। जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 लागू हो जाने के बाद भी जब सच की लड़ाई लड़ने वालों को वांछित सूचना नहीं मिली तो 'खींचो न कमानो को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालों - अकबर इलाहाबादी' के इस कथन को आत्मसात करते हुए देश के आरटीआई कार्यकर्ता लामबंद होने लगें और सम्पूर्ण भारत के विभिन्न प्रदेशों के सूचना आयोग के समक्ष ज़ोरदार ढंग से अपनी समस्याओं को रख सही ढंग से जन सूचना अधिकार अधिनियम के पालन हेतु एक मुहिम छेड़ दिया है। इसी कड़ी में पुनः उत्तर प्रदेश राज्य जन सूचना आयोग के ढुलमुल रवैया के कारण आर टी आई कार्यकर्ताओं द्वारा दोबारा आयोग के दर पर पहुंच व्हिसिलब्लोअर के रूप में आयोग का दरवाज़ा खटखटाया, जिससे प्रदेश एवं देश में आयोग और पदाधिकारियों के ढुलमुल रवैए के कारण नकारात्मक प्रभाव पड़ा। 

अभिषेक कुमार बताते हैं कि सूचना आयोग में या संबंधित को जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005के तहत सूचना के लिए प्रार्थना पत्र लगाने पर पहले तो सूचना देने से बचते हैं या नहीं देते हैं और यदि प्रथम अपीलीय अधिकारी के यहां अपील करते हैं तो फिर सूचना आधी अधूरी प्रदान की जाती है जो सरेआम जन सूचना अधिकार अधिनियम का खुलेआम धज्जियां उड़ाने जैसा है। अतुल गुप्ता अपने अनुभव शेयर करते हुए कहते हैं कि जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांगने पर कवरिंग लेटर पर संलग्नक लिखा होता है लेकिन लिफाफा खोलने पर अंदर संलग्नक सूचना नहीं होती है जो बेहद ही शर्मनाक है।

अन्य कार्यकर्ताओं ने बताया कि जितनी मक्कारी जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत नियुक्त अधिकारी एवं पद पर विराजमान पदाधिकारी करते हैं उतना शायद ही किसी अधिनियम में होता हो। आर टी आई लगाने पर पहले कहेंगे शुल्क कम भेजा है अतिरिक्त शुल्क भेजें और जब प्रार्थी अतिरिक्त शुल्क जमा करता है तो जवाब मिलता है कि सूचना नहीं दी जा सकती है।
कुछ कार्यकर्ताओं ने बताया कि हम आर टी आई शौकिया तौर पर नहीं लगाते और नहीं इतना फिजुल में पैसा, टाइम है कि हम दोनों बर्बाद करें। हम आज सच की लड़ाई लड रहे हैं जिसमें आर टी आई के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं को सम्बन्धित को प्रदर्शित कर सच उजागर करना चाहते हैं लेकिन जन सूचना अधिकार विभाग के ग़लत रवैए के कारण आज हम सभी आयोग को आइना दिखाने, जगाने के लिए उपस्थित एवं एकत्रित हुए हैं और आज यह दुसरी बार है जो हम सभी उत्तम प्रदेश कहें जाने वाले उत्तर प्रदेश के जन सूचना अधिकार विभाग को जगा रहें हैं। यह कारवां आज सम्पूर्ण भारत के विभिन्न प्रदेशों में फैल चुका है।
इस यात्रा का ज्ञापन आज भी मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश से कोई लेने नही आया राज्यपाल के डाक विभाग मे ही ज्ञापन देना पड़ा जबकि राज्यपाल जी को पूर्व सूचना थी यहाँ पर बहुत से कार्यकर्ता आये जिनमे पूरुषोत्तम जी, रामदेव जी, बिहार से  अनूप सोनी, ऋषि, तृवेणी, राहुल कनौजिया, आदित्य प्रताप कनौजिया, अजय कुमार, चंद्र प्रकाश,दिव्य प्रकाश, संदीप कुमार, अशोक जैस्वाल, संजय कुमार,श्याम प्रसाद, अजय कुमार, दुर्गा सिंह, सत्यपाल सिंह, अशोक कुमार, रजनी शर्मा, मनोज यादव, राजेश अग्निहोत्री, नजीर हुसैन, संजीव कुमार, शिवनाथ प्रसाद, अंकित, मनोज सिंह, तेजेश्वर् सिंह, माखन सिंह धाकड़, सुबोध सिंह, मुकेश महतो, रवि यादव उत्तर प्रदेश से, लखन लाल जी मध्य प्रदेश से इसके साथ ही झारखंड, राजस्थान, उड़ीसा, अन्य राज्यो के कार्यकर्ता भी आये और बहुत ही शांति पूर्ण तरीके से अपना ज्ञापन देने का प्रयास किया लेकिन सूचना आयोग मे ही सचिव द्वारा ज्ञापन लिया गया अन्य जगह केवल डाँक को ही मध्यम बनाया गया बहुत ही गलत है की देश के बाहर से आये लोगों से एक मिनट का समय भी नही है मुख्य सचिव के पास जबकि इसकी सूचना ५ अप्रैल को दे दी गई थी यह हाल और हश्र है भारत में संविधान द्वारा पारित जन सूचना अधिकार अधिनियम का। 
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