जब मैंने चालीसा गाया

डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
सन तेरह में शुभ दिन आया।
गांव छोड़कर शहर में आया।।1
दादी नानी काकी छोड़ी।
छोड़ राबड़ी खाइ कचौड़ी।।2
धोती छोड़ पेंट सिलाया।
सुंदर टाई भी मैं लाया।।3
नया नया परमोशन पाया।
शाला नियम समझ ना आया।।4
कोठी दरबारों की भारी।
बच्चे पढ़ते जहां हजारी।।5
प्रिंसिपल का ढंग निराला।
कोई उसे समझ ना पाया।।6
जब मैंने चालीसा गाया।
सुनके प्रिंसीपल घबराया।।7
 जल्दी से कक्षा में आया।
मुझे देख के वह गुर्राया।।8
हिन्दी में तुम गाना गाते।
अंग्रेजी कैसे सिखलाते।।9
जोर जोर से मैंने गाया।
सब बच्चों ने साथ निभाया।।10
जय जय जय अंगरेजी माता।
तुम्हरी कीरति सब जग गाता।11
ए  से  एपल  बी  से  बेबी।
नइ पीढी  ने तुमको सेवी।।12
कटबटहट सब एक समाना।
पुट का भेद हम नही जाना।।13
पश्चिम की तुम हो महरानी।
पूरब में भी खूब बखानी ।।14
नित उठके तुम्हरे गुण गाऊँ।
कम्प्यूटर पे ध्यान लगाऊँ।।15
पाँच स्वरों का रेलम पेला ।
इक्किस व्यंजन का ये मेला।।16
वरण छब्बीस का परिवारा।
ध्वनि छियालीस का है न्यारा।17
जो कोई तुमको अपनाता।
आम जनो पे धाक जमाता।।18
इंग्लिश को पढ सब संसारा।
फोनिकड्रिल का खेलहि प्यारा।9
हिन्दी में हि वोट जो पाते।
संसद में तुमको अपनाते।।20
पेंट कोट टाई दिखलाते।
अंग्रेज़ी का मान बड़ाते।।21
बैंक डाक कानून की भाषा।
सबको पाने की अभिलाषा।।22
बंका गाँव मंदिर बनवाया।
आपनि मूरत को सजवाया।।23
एक हाथ कंप्यूटर सोहे।
दूजे कर में लेखनि मोहे ।।24
हाय हलो से करें आरती ।
अहम् नयन तुम्हे निहारती ।।25
पिज्जा बर्गर भोग तुम्हारा। 
खुशी खुशी खावे संसारा।।26
तिहरे दम से डाक्टर बन जाते।
इंजिनियर टीचर पद पाते।27
जो भी निंदा करे तुम्हारी।
कष्ट उठाये वह बड़ भारी।28
साॅरी कहने से दुख कटते।
थैंक्यू गुडबाय भी रटते।।29
शेक्सपियर ने तुमको पाया।
सारे जग में नाम कमाया।।30
बच्चों की खुशियों को देखा।
नवाचार का खेल अनोखा।31
प्रिंसिपल मन में मुसकाया।
मुझे प्रेम से गले लगाया।।32
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

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