नव संवत् मंगल भवः (गुड़ी पड़वा 2080)

डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

चैत्र शुक्ला प्रतिपदा,शुभदिन का सम्मान।
नव संवत् मंगल भवः,कहत हैं कवि मसान।।1
संवत दो हजार असी, खुशियों का है आन। 
विक्रम तेरे राज का, पंछी करते गान ।। 2
सत्य धरम सुख न्याय का, दुनिया करे बखान। 
पुरी अवंती देश का, राजा था बलवान ।।3
होली की पिचकारियां, पिया मिलन की आस।
फसले खेत बहार है, मास चैत बेसाख ।। 4
नये साल के आवते, फूले फूल पलाश। 
पतझड़ से कोपल चली,नव पल्लव की आस।।5
आमों की बगियां फली, कोयल कहे पुकार। 
भौरा फूलन रस पिये, मस्ती भरी बयार।। 6
पलास पुलकित हो रहे, लाल लाल कचनार । 
सखियाँ शंख बजा रहीं, नया साल इजहार।7
सरसों गेंहूँ अरु चना,धनिया खेत बहार। 
बेमौसम बरसा भई, पानी के संग गार।।8
मिसरी काली मिर्च की, गोली गोल बनाय। 
नीमा कोपल साथ में, चैती पड़वा खाय।।9
तिलक लगाकर आज हम, करें सुजन सम्मान।
प्रभु के दर्शन भी करें,गुरुवर करें प्रणाम।।10
23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

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