मौन हूँ या निःशब्द

शालिनी जैन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

सार्थक शब्द चुनने दो 
राह कठिन है पथिक बन राह चुनने दो 
रास्ता नहीं आसा 
हस्तियों को पाने का 
आज अपनी आजमाइश कर कुछ सपने बुनने दो 
मंजिले यूही नहीं मिला करती 
कुछ पाने में बीत जाती है उम्र 
इमारते जो दिखती है सुन्दर 
कितनी जिंदगानी बीत जाती है उन्हें बनाने में  
पहलू है अनेक 
दिखते है नहीं सभी 
जो सुन्दर दिख रहा 
वही सार्थक है 
बाकी व्यर्थ निरर्थक
मौन हूँ  या निःशब्द  
सार्थक शब्द चुनने दो 

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